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मोदी की तारीफ़ क्यों, क्या बीजेपी में फिर जाएँगे शत्रुघ्न सिन्हा?

प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार हमलावर रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने अब उनकी तारीफ़ में कसीदे क्यों पढ़े हैं? लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सिन्हा ने प्रधानमंत्री के 15 अगस्त को लाल क़िले से दिए गए भाषण को साहसी और उत्तेजक विचारों वाला क़रार दिया। पूर्व बीजेपी नेता ने प्रधानमंत्री के भाषण को देश की प्रमुख समस्याओं को समाधान करने की दिशा में शानदार बताया है। ऐसे में सवाल यह है कि चुनाव से पहले क़रीब-क़रीब हर मुद्दे पर मोदी की खिंचाई करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा का हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? क्या यह सामान्य बात है? राजनीति में ऐसे अनपेक्षित बयान कम से कम यूँ ही तो नहीं दिए जाते हैं। तो क्या शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस को छोड़कर फिर से बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं?

शत्रुघ्न सिन्हा ने स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के दिए गए भाषण की तारीफ़ तीन दिन बाद रविवार को की है। उन्होंने ट्विटर पर मोदी की तारीफ़ में लिखा, ‘‘चूंकि मैं बिना लाग-लपेट के कहने के लिए प्रसिद्ध या बदनाम हूँ, इसलिए मुझे यहाँ स्वीकार करना चाहिए कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को लाल क़िले से दिए गया आपका भाषण बेहद साहसी, अच्छी तरह से शोध किया हुआ और उत्तेजक विचारों वाला था। देश की प्रमुख समस्याओं पर शानदार भाषण।’

हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने एक के बाद एक पाँच ट्वीट किए। उन्होंने अपने ट्वीट में जल संकट, जनसंख्या विस्फ़ोट, प्लास्टिक के उपयोग जैसी समस्याओं को उठाने और समाधान की बात करने से लेकर घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने की प्रधानमंत्री की बात की जमकर तारीफ़ की। उन्होंने चीफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ की बात करने और देश के सामने मुँह बाए खड़ी कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री की योजना की सराहना की।

उन्होंने एक ट्वीट में तो यहाँ तक लिखा, ‘...आप राष्ट्र के मित्र और मार्गदर्शक हैं, आपने सही दिन, समय और मंच चुना है, लेकिन हम बड़ा, वृहद, विस्तृत योजना और उपयुक्त रोड मैप की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मैं विनम्रतापूर्वक सुझाव देता हूँ - इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अभी लागू कर दें,  क्योंकि राष्ट्र आपके साथ मज़बूती से खड़ा है।’

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चुनाव से पहले बदले हुए थे सुर

प्रधानमंत्री के लिए शत्रुघ्न सिन्हा की यह तारीफ़ बेहद आश्चर्यजनक है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले जब वह बीजेपी को छोड़ने और कांग्रेस में शामिल होने वाले थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर लगातार हमलावर रहे थे। चाहे वह रफ़ाल का मुद्दा हो, या बेरोज़गारी, नोटबंदी, जीएसटी, अर्थव्यवस्था से लेकर मोदी सरकार की नीतियों की, वह हर मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ बोलते रहे थे। कई मौक़ों पर तो उन्होंने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को लेकर भी सवाल खड़े किए। 

रफ़ाल सौदे पर किया था हमला

जनवरी महीने में विपक्षी दलों की रैली में पहुँचे शत्रुघ्न सिन्हा ने मोदी को लेकर इशारों में कहा था कि आप जब तक सवालों से भागते रहेंगे तब तक हम सबको मानना पड़ेगा कि वाकई 'चौकीदार चोर' है। उन्होंने कहा था मैं पार्टी को आईना दिखाता हूँ। उन्होंने रफ़ाल का ज़िक्र करते हुए कहा था, ‘मैं यह भी नहीं कह रहा हूँ कि आप दोषी हैं, मगर यह भी नहीं कहूँगा कि आप दोषी नहीं हैं। आप अगर कुछ नहीं बोलेंगे और छुपाएँगे तो देश की जनता कहेगी कि वाक़ई देश का 'चौकीदार चोर' है। अगर आप मोदी जी जब तक रफ़ाल पर थेथरई करेंगे, तब तक आप सुनते रहेंगे चौकीदार चोर है।’ बता दें कि रफ़ाल सौदे में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन सरकार ने इन आरोपों से साफ़ इनकार किया है।

नोटबंदी-जीएसटी की भी आलोचना

शत्रुघ्न सिन्हा ने नोटबंदी की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, व्यापार बर्बाद हो गया, घर की महिलाएँ, माताएँ-बहनें जो घर के लोगों के लिए अच्छी नीयत से पैसे दबा कर रखी थी, वे सब अचानक हवा-हवाई हो गए। उन्होंने पूछा था, आख़िर नोटबंदी का अधिकार किसने दिया। उन्होंने कहा था, अभी नोटबंदी से उबर ही नहीं पाए थे कि जीएसटी का फरमान जारी कर दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि जीएसटी से पुजारी तबाह होने लगे, गुरुद्वारे में लंगर पर जीएसटी लग गए, यानी एक तरफ नोटबंदी, जीएसटी यानी इसे कहते हैं नीम पर करेला। 

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तानाशाही की बात की थी

अप्रैल महीने में कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला मातोंडकर के लिए चुनाव प्रचार के दौरान शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा था, 'मैं बीजेपी में स्वर्गीय नानजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की वजह से शामिल हुआ था। मुझे हमेशा लगा कि ये देश को सही दिशा में ले जाएँगे, देश के गौरव, अस्मिता और सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेंगे लेकिन अटल बिहारी के जाने के बाद इस पार्टी में लोकशाही तानाशाही में बदलने लगी। पार्टी का घेराव कर डाला और पार्टी कुछ लोगों तक सीमित हो गई।

जब आडवाणी का टिकट कटा था...

वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का गांधीनगर से टिकट कटने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर इशारों में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर निशाना साधा था। उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को न्यूटन का तीसरा नियम याद दिलाते हुए कहा था कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट में कहा था, ‘सरजी,  रफ़ाल बाबा, चालीस चौकीदार का किरदार निभाने की जगह अगर कुछ कर सकते हैं तो सुधार करने वाले कुछ क़दम उठाइए। नुक़सान की भरपाई के लिए पहल करिए...।’

शत्रुघ्न सिन्हा ने आगे लिखा था, ‘जो आप और आपके लोगों ने मेरे साथ किया, वह अब भी सहनीय है। मैं जवाब देने के लिए सक्षम हूँ। न्यूटन का तीसरा नियम याद रखिए। हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अब लालकृष्ण आडवाणी के साथ जो हुआ, उसे लोग देख रहे हैं। यह एक आदमी और दो लोगों की कंपनी की ओर से किया जा रहा है। जय हिंद।’

तीखी आलोचना करते रहे शत्रुघ्न सिन्हा हालाँकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड बहुमत से जीत के बाद ही नरम पड़ गए थे। उन्होंने बीजेपी की जीत के बाद मोदी-शाह की जीत को 'ग्रेट' बताते हुए बधाई दी थी। उन्होंने बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को पारिवारिक मित्र बताया और अमित शाह को बेहतरीन रणनीतिकार करार क़रार दिया था। लेकिन अब जिस तरह से उन्होंने मोदी की तारीफ़ की है वह इन अटकलों पर ज़ोर देता है कि कहीं वह बीजेपी में वापसी की राह तो नहीं ढूँढ रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी

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