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शिवसेना की सलाह- ख़ुद को फिर से खड़ा करे कांग्रेस, राहुल गांधी एकमात्र विकल्प

कांग्रेस में कुछ नेताओं के बीच भले ही तलवारें खिंची हों लेकिन ऐसे नाजुक वक्त में उसकी सहयोगी शिवसेना ने उसे बड़े काम का मशविरा दिया है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस को ख़ुद को फिर से खड़ा कना चाहिए और राहुल गांधी ही एक ऐसे नेता हैं जो पार्टी में सभी को स्वीकार्य हैं। 

कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को पत्र लिखने के बाद पार्टी के अंदर उथल-पुथल वाले हालात हैं और ऐसा नहीं लगता कि ये जल्द सुधरेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद का विरोध हुआ और कपिल सिब्बल ने उनके समर्थन में आवाज़ उठाई, उससे इस घमासान के लंबा चलने के आसार दिखते हैं। 

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पत्र लिखने वालों में वरिष्ठ नेता गु़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा के अलावा उत्तर प्रदेश से आने वाले जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर हैं। 

‘काम शुरू करे कांग्रेस’

अक्सर अपनी पार्टी शिवसेना का पक्ष रखने वाले राउत ने कांग्रेस को यह सलाह उसके अंदर मचे बवाल को देखते हुए दी है। राउत ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘देश को एक मजबूत विपक्ष की ज़रूरत है और कांग्रेस की अखिल भारतीय स्तर पर पहचान है। पार्टी को उसके भीतर चल रहे घमासान से उबरना चाहिए और काम शुरू करना चाहिए।’ 

राउत ने पीटीआई से कहा, ‘सोनिया गांधी की उम्र ज़्यादा हो रही है और मुझे नहीं लगता कि प्रियंका गांधी हमेशा राजनीति में रहेंगी। कांग्रेस पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं, जिनकी वजह से राहुल गांधी काम नहीं कर पा रहे हैं।' 

राज्यसभा के सांसद राउत ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि कांग्रेस में गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है। इससे पहले शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे एक संपादकीय में कांग्रेस नेताओं द्वारा आलाकमान को पत्र लिखे जाने को राहुल गांधी के नेतृत्व को ख़त्म करने की साज़िश बताया गया था। 

कार्य समिति की बैठक में बवाल 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अपने पत्र में लिखा था कि पार्टी को एक पूर्णकालिक, ‘प्रभावी’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व चाहिए। साथ ही इसमें पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करने की सलाह भी दी गई थी। इसके बाद कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में जमकर बवाल हुआ था और अंत में तय हुआ था कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनीं रहेंगी। हालांकि सोनिया गांधी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई थी और नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। 

कांग्रेस और शिवसेना की विचारधारा भले ही एक दूसरे से पूरी तरह अलग हो लेकिन आज दोनों दल एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं। 

शिवसेना इस बात को जानती है कि अगर ठाकरे सरकार को 5 साल का कार्यकाल पूरा करना है, तो यह कांग्रेस की मदद के बिना नहीं हो सकता। दूसरी ओर, कांग्रेस के पास भी अपनी सरकार न सही, गठबंधन के जरिये सत्ता में बने रहने का मौका है।

रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश

शिवसेना यह भी जानती है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान की तरह उसकी सरकार को भी अस्थिर करने की कोशिशें हो रही हैं। वह कई बार ऐसे आरोप लगा चुकी है। फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले में भी उसने कहा था कि दिल्ली और बिहार ने मिलकर महाराष्ट्र के ख़िलाफ़ साज़िश की है। बीजेपी महाराष्ट्र में किसी भी क़ीमत पर अपनी सरकार बनाना चाहती है, ऐसे में शिवसेना ने राहुल गांधी के पक्ष में मजबूत बयान देकर अपनी सहयोगी पार्टी के साथ रिश्तों को और पक्का करने की दिशा में क़दम उठाया है। 

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संगठन के चुनाव कराए कांग्रेस: आज़ाद

कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को लिखा पत्र लीक हो जाने के बाद चल रहा बवाल सीनियर नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के ताज़ा बयानों के बाद और बढ़ सकता है। आज़ाद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कांग्रेस संगठन के चुनाव कराने की जोरदार हिमायत की है। 

Shiv Sena support rahul gandhi said congress should Revive - Satya Hindi

राज्यसभा में विपक्ष के नेता आज़ाद ने एएनआई से कहा कि कांग्रेस कमेटियों के चुनाव से पार्टी मजबूत होगी क्योंकि अभी तक यही होता है कि जो दिल्ली आता-जाता है उसे सिफ़ारिश पर अध्यक्ष बना दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अभी जो अध्यक्ष बनता है, ऐसे लोगों के साथ कभी-कभी एक  फ़ीसदी लोग भी नहीं होते हैं। 

चापलूसी करने वालों पर बरसे

राज्यसभा के सांसद आज़ाद ने कहा कि जो सच्चा कांग्रेस मैन होगा, वो पार्टी में संगठन के चुनाव का समर्थन करेगा। पत्र लीक होने के सवाल पर उन्होंने एएनआई से कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के दौरान उसकी रनिंग कमेंट्री लीक हो गई, उसका क्या होगा। आज़ाद ने कहा कि उनका गांधी परिवार से पारिवारिक जुड़ाव है और सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या आज चापलूसी करने वाला ज़्यादा वफ़ादार हो गए हैं?

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क़मर वहीद नक़वी

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