loader
फाइल फ़ोटो

जाति जनगणना पर तेजस्वी के ख़त से विपक्षी एकजुटता की कोशिश?

क्या जाति जनगणना का मुद्दा अब विपक्षी दलों को क़रीब लाने की भूमिका निभाएगा? और क्या बीजेपी फिर से इस मुद्दे पर विचार करने को मजबूर होगी? ये सवाल इसलिए कि जाति जनगणना पर बीजेपी का रुख साफ़ होते ही अब विपक्षी दलों में हलचल तेज़ हो गई है। तेजस्वी यादव ने कई दलों के 33 नेताओं को चिट्ठी लिखी है। ये नेता या तो जाति जनगणना के पक्ष में रहे हैं या फिर उन्होंने कभी इसका विरोध भी नहीं किया है। इनमें से अधिकतर मोदी सरकार की नीतियों के विरोधी रहे हैं। हालाँकि इनमें से कुछ तो बीजेपी के सहयोगी भी हैं। खुद बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार ने भी कहा है कि केंद्र सरकार को इस पर दुबारा सोचना चाहिए। वह और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल पहले भी खुलकर जाति जनगणना की पैरवी कर चुके हैं। 

जाति जनगणना का यह मुद्दा फिर से तब केंद्र में आ गया है जब केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा कि जाति जनगणना नहीं हो सकती है क्योंकि यह व्यावहारिक नहीं है। सरकार ने कहा है कि जनगणना के दायरे से एससी-एसटी के अलावा किसी भी अन्य जाति की जानकारी जारी नहीं करना एक समझदारी वाला नीतिगत निर्णय है।

ताज़ा ख़बरें

सरकार के इसी फ़ैसले के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को 33 नेताओं को चिट्ठी लिखी है। जिन नेताओं को उन्होंने यह ख़त लिखा है उनमें सोनिया गांधी, शरद पवार, अखिलेश यादव, मायावती, एमके स्टालिन, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, नीतीश कुमार, फारूक अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी, डी राजा, महबूबा मुफ्ती, हेमंत सोरेन, पिनरई विजयन, अरविंद केजरीवाल, प्रकाश सिंह बादल, उद्धव ठाकरे, के चंद्रशेखर राव जैसे नेता शामिल हैं। उन्होंने जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को भी पत्र लिखा है जो एनडीए का हिस्सा हैं।

विपक्षी दल इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की योजना बना रहे हैं। तेजस्वी ने उस पत्र में इस मुद्दे पर उनके सुझाव और इनपुट मांगे हैं ताकि इस मुद्दे पर तत्काल कार्य योजना तैयार की जा सके।

तेजस्वी ने अपने पत्र में वरिष्ठ नेताओं से आग्रह किया है कि जनगणना की कवायद शुरू होने से पहले उन सभी को केंद्र सरकार से आग्रह करना चाहिए कि सरकार पहले ही देरी हो चुकी 2021 की जनगणना में जाति जनगणना को भी शामिल करे।

इस मामले में राजद नेता मनोज झा ने ईटी को बताया, 'अपने लोगों की अहम हकीकत जानने के लिए पूरे भारत में मंथन चल रहा है।' उन्होंने कहा है कि 'अगले क़दम के रूप में सभी महत्वपूर्ण नेताओं की एक बैठक हो सकती है कि कैसे इस मुद्दे को संबंधित विधानसभाओं में उठाया जाए और सड़कों पर कैसे लेकर उतरा जाए।'

इस बीच अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी रविवार को देशव्यापी जाति जनगणना की अपनी मांग को दोहराया है। उन्होंने कहा कि यह वक़्त की ज़रूरत है और केंद्र को इसके ख़िलाफ़ अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।

नीतीश ने कहा कि जाति जनगणना देश के हित में है। उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत में मामला सीधे तौर पर जाति जनगणना से संबंधित नहीं था। उन्होंने कहा कि यह 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना से संबंधित है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह बिहार में जाति जनगणना करेंगे, सीएम नीतीश ने कहा कि वह इस मुद्दे पर भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए राज्य में एक सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे।

tejashwi yadav letter to 33 opposition parties leaders on caste census   - Satya Hindi

वैसे, इस मामले में नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच तनातनी की ख़बरें भी आती रही हैं। तब प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात को लेकर विवाद हुआ था। उस मुलाक़ात से पहले नीतीश कुमार ने कह दिया था कि जाति जनगणना पर प्रधानमंत्री मोदी उन्हें मिलने के लिए समय नहीं दे रहे हैं। काफ़ी विवाद होने पर प्रधानमंत्री ने मिलने का समय दिया। तब बिहार से नीतीश कुमार व विपक्षी नेता तेजस्वी यादव सहित एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की थी।

राजनीति से और खबरें

उस मुलाक़ात की ख़ास बात यह भी थी कि उस प्रतिनिधिमंडल में ख़ुद बीजेपी के भी विधायक शामिल थे। हालाँकि, यह बात चौंकाने वाली नहीं थी क्योंकि भले ही बीजेपी सरकार जाति जनगणना से इनकार करती रही है, लेकिन बीजेपी के कई नेता ख़ुद को जाति जनगणना के पक्षधर बताते रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ही साफ़ कहा था कि 'जातीय जनगणना कराने में अनेक तकनीकि और व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं, फिर भी बीजेपी सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।'

तो सवाल है कि बीजेपी की इस नीति के ख़िलाफ़ क्या विपक्षी दल एकजुट होंगे? कहीं इस मुद्दे के सहारे 2024 से पहले विपक्षी एकजुटता का रास्ता तो नहीं निकलेगा? इन सवालों के जवाब आगे तब मिल सकते हैं जब तेजस्वी के ख़त का जवाब देंगे। अब उन नेताओं पर निर्भर है कि वे क्या रुख अख्तियार करते हैं।  

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें