कृषि क़ानून, सीएए जैसे अधिकतर क़ानूनों के ख़िलाफ़ जबरदस्त आंदोलन क्यों हो रहे हैं? क्या क़ानून बनाने या सुधार करने से पहले पर्याप्त चर्चा नहीं हो रही है? पहले संशोधन विधेयक संयुक्त समितियों को भेजे जाने का चलन था, क्या अब वैसा हो रहा है?
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के ग़ैर-मुसलिम नागरिकों से भारत की नागरिकता के लिए आवेदन माँगने के केंद्र सरकार के नोटिस के ख़िलाफ़ याचिका दायर की गई है।
केंद्र सरकार ने तीन पड़ोसी देशों अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए ग़ैर-मुसलिम शरणार्थियों से कहा है कि वे भारत की नागरिकता लेने के लिए आवेदन दें।
नागरिकता क़ानून अभी सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। इस क़ानून को पारित कराने के पीछे सरकार का मकसद सिर्फ देश के एक समुदाय विशेष को चिढ़ाना और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करना था।
नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए के नियमों को ही तैयार करने में पाँच महीने और लग सकते हैं। एनआरसी के मामले में सरकार ने कहा है कि इसको पूरे देश में लागू किए जाने पर अभी तक फ़ैसला नहीं लिया जा सका है। ऐसा क्यों है?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के व्यस्ततम चौराहे पर योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी हिंसा में हुए सरकारी संपत्ति के नुक़सान की वसूली के लिए ज़िम्मेदार लोगों की तस्वीरों की होर्डिंग लगा दी है।
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाले लोगों की तसवीरें और उनके घर का पता वाली होर्डिंग क्यों लगाई गई है? क्या इससे उनकी सुरक्षा के लिहाज से यह ठीक है? क्या यह बदला लेने की कोशिश है? मुख्यमंत्री योगी ऐसा पहले ही कह चुके हैं। क्या होगा इसका असर? सरकार ने ऐसा क्यों किया? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
नागरिकता क़ानून का खौफ़ कम क्यों नहीं हो रहा है? शाहीन बाग़ में नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट को मीडिएश पैनल गठित क्यों करना पड़ा? असम में एक महिला का मामला जो आया है कि 15 कागज़ात होने के बाद भी उन्हें एनआरसी में शामिल नहीं किया गया, क्या डराने वाली तसवीर नहीं है? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
नागरिकता क़ानून, देश के मौजूदा हालात और धर्मनिरपेक्षता को लेकर दिख रहे ख़तरे पर अकाली दल सियासतदान प्रकाश सिंह बादल ने नाम लेने से परहेज करते हुए बीजेपी, आरएसएस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुलकर घेरा है।Satya Hindi
क्या भारतीय जनता पार्टी अपने ही जाल में फँस गई है? क्या उसके नेता अपने नेतृत्व के सामने सच्चाई बयान करने से कतरा रहे हैं या उन्हें आईना दिखाने की हिम्मत नहीं है?
भारतीयों, ख़ासतौर पर बुज़ुर्ग नागरिकों के पास जन्म प्रमाण पत्र हैं क्या? सच तो यह है कि देश में 5 साल से छोटे बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र भी बड़ी संख्या में नहीं हैं।
केरल और पंजाब के बाद अब राजस्थान विधानसभा ने भी नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित कर दिया है। पश्चि बंगाल में ऐसा ही प्रस्ताव 27 जनवरी को पेश किया जाएगा।
नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की सरकार की कोशिशें हैं। इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से किए गए सर्वे ‘मूड ऑफ़ द नेशन’ में यह बात सामने आई है।