ईडी के दावे
ईडी ने कहा है, ‘हमने पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया पर निगरानी रखी थी, हमने 73 बैंक खातों की पहचान की। इससे होने वाले लेन-देन की पड़ताल करने पर हमने पाया कि इसने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलनों को 120 करोड़ रुपए दिए गए।’ईडी ने कहा है कि दिल्ली के नेहरू प्लेस के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सामली, हापुड़, ग़ाज़ियाबाद, बहराइच, बिजनौर, डासना स्थित सिंडीकेट बैंक की शाखाओं से 41.50 करोड़ रुपए निकाल लिए गए। इन खातों में 27 करोड़ रुपए नकद जमा कराए गए थे।
कपिल सिब्बल का जवाब
ईडी का कहना है कि कपिल सिब्बल को 77 लाख, इंदिरा जयसिंह को 4 लाख और दुष्यंत दवे को 11 लाख रुपए मिले। कपिल सिब्बल ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है :“
'मैं कभी किसी मुवक्किल से नकद पैसे नहीं लेता, फ़ीस में जो पैसे लेता हूं, वह चेक के रूप में लेता हूं। यदि किसी ने पैसे ट्रांसफर किया हो तो उसकी रसीद उसे ज़रूर देता हूं।'
कपिल सिब्बल, मशहूर वकील
इंदिरा जयसिंह का पलटवार
वकील इंदिरा जयसिंह ने पीएफ़आई से पैसे लेने से साफ़ इनकार कर दिया है। उन्होंने एक चिट्ठी ट्वीट कर कहा है, ‘मैंने कभी भी पीएएफ़आई से कोई पैसा नहीं लिया है। मैं पीएफआई या सीएए-एनआरसी के किसी आदमी से पैसे लेने से पूरी तरह इनकार करती हूं।’“
‘मेरी प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाने की किसी भी कोशिश पर मैं सिविल और आपराधिक मुक़दमा दायर कर सकती हूं। मुझे अफ़सोस है कि मीडिया के एक वर्ग ने मेरा पक्ष जाने बग़ैर और इसकी सत्यता की पड़ताल किए बग़ैर यह ख़बर चलाई है।’
इंदिरा जयसिेंह, मशहूर वकील
My statement denying receipt of money from PFI in relation to anti CAA protests or for any other reason or purpose whatsoever. @PTI_News @ZeeNews @ndtv @CNNnews18 @LiveLawIndia @barandbench @AltNews @scroll_in @thewire_in @the_hindu pic.twitter.com/HM1ECWDmxI
— Indira Jaising (@IJaising) January 27, 2020
उठते हैं कई सवाल
सरसरी निगाह से देखने से ही साफ़ हो जाता है कि इस पूरे मामले में प्रवर्तन निदेशालय की मंशा तो ग़लत है ही, इस ख़बर पर भी भरोसा करना मुश्किल है। एआईएनएस ने कहा है कि उसे ईडी के सूत्रों ने बताया। लेकिन इतने बडे़ मामले की जानकारी ईडी गुपचुप किसी एक समाचार एजेन्सी को क्यों देगी, वह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सार्वजनिक तौर पर यह बात क्यों नहीं कहेगी, यह सवाल उठना लाजिमी है।इसके अलावा यह भी साफ़ नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को यह कैसे पता चला कि 120 करोड़ रुपए सीएए-विरोधी आन्दोलन में लगाए गए हैं।
पर ईडी ने यह तो बताया ही नहीं है कि इस आन्दोलन में पैसे विदेशी मुद्रा के रूप में लगाए गए हैं। ईडी कैसे इस निष्कर्ष पर पहुँची की 120 करोड़ रुपए सीएए-विरोधी आन्दोलन पर खर्च किए गए?
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