नागरिकता संशोधन क़ानून और पूरे देश के लिए प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने की सरकार की कोशिशें हैं। इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से किए गए सर्वे ‘मूड ऑफ़ द नेशन’ में यह बात उभर कर सामने आई है।
पाया गया कि सर्वे में जितने लोगों से बात की गई, उनके 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सीएए और एनआरसी बेरोज़गारी जैसे गंभीर आर्थिक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए किया गया है। लेकिन 32 प्रतिशत लोगों ने माना है कि ऐसा नहीं है, यह लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश नहीं है। इसके अलावा 25 प्रतिशत लोगों की इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट राय नहीं थी।
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दक्षिण भारत में सबसे ज़्यादा 50 प्रतिशत लोगों ने यह माना कि सीएए-एनआरसी ध्यान हटाने का तरीका है। उत्तर भारत में 40 प्रतिशत, पश्चिम भारत में 44 प्रतिशत और पूर्व भारत में 41 प्रतिशत लोगों का भी यही मानना है।
सर्वे में यह भी पाया गया कि 44 हिन्दुओं और 55 प्रतिशत मुसलमानों की यह राय थी कि सीएए-एनआरसी के बहाने गंभीर समस्याओं से ध्यान हटाया जा रहा है।
इंडिया टुडे समूह और कार्वी इनसाइट्स मूड ने मिल कर यह सर्वे किया। इस सर्वे में 12,141 लोगों से बात की गई। इसमें 67 प्रतिशत लोग गाँवों और 33 प्रतिशत लोग शहरी इलाक़े के थे। यह सर्वे 19 राज्यों के 97 लोकसभा और 194 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया।
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पहले से ही देश भर में बवाल चल रहा है और विपक्षी दलों की राज्य सरकारों ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्थिति को स्पष्ट करे लेकिन उसके बयानों से स्थिति उलझती जा रही है और सवाल पर सवाल पैदा हो रहे हैं।
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