कोरोना टीकाकरण में 100 करोड़ खुराक लगाना बड़ी उपलब्धि तो है, लेकिन क्या इस उपलब्धि के आगे चुनौतियों पर नज़र है? क्या इसकी चिंता है कि टीकाकरण कम क्यों पड़ रहा है?
21 जून को कोरोना टीकाकरण अभियान शुरू किया गया और रिकॉर्ड कायम किया गया, लेकिन उसके एक सप्ताह के अंदर ही कोरोना टीकाकरण अभियान में गिरावट आई। एक हफ़्ते के अंदर 68 प्रतिशत कम लोगों को कोरोना टीका दिया गया।
केंद्र सरकार ने एक महीने पहले अगस्त से दिसंबर तक 216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा किया था लेकिन अब इसका कहना है कि वह 135 करोड़ वैक्सीन ही उपलब्ध करा पाएगी।
अब कई तरह के दबावों के बीच ऐसा लग रहा है कि भारत से वैक्सीन निर्यात का सिलसिला फिर से शुरू हो सकता है। नीति आयोग में स्वास्थ्य मामलों को देख रहे वी के पॉल ने कहा कि कोविड वैक्सीन का निर्यात पूरी तरह से हमारे राडार पर है।
देश में टीकाकरण नीति पर सुप्रीम कोर्ट तक से आलोचनाओं का सामना कर चुकी मोदी सरकार को अब विशेषज्ञों ने बेहद अहम एक रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है कि अनियोजित टीकाकरण से कोरोना के म्यूटेंट यानी इसके कोरोना के स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है।
आख़िर वैक्सीन उत्पादन का महाबली कोरोना से लड़ाई के दंगल में क्यों फिसड्डी साबित हुआ? मोदी सरकार ने कम से कम 10 ऐसी गंभीर भूलें की हैं जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली स्पेशल बेंच ने मोदी सरकार को फटकारते हुए वैक्सीन नीति का पूरा हिसाब किताब देने का आदेश दिया था। इसका ही नतीजा है कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया।
वैक्सीन खरीद का ज़िम्मा राज्यों पर डालने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार अब खरीद का ज़िम्मा उठाने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार सरकारी अधिकारी ने ऐसे संकेत दिए हैं।
देश में वैक्सीन की कमी के बीच सुप्रीम कोर्ट से लेकर आम लोगों द्वारा वैक्सीन नीति पर आलोचनाओं पर केंद्र सरकार ने सफ़ाई दी है। इसने असमानता की ओर इशारा करने वाली मीडिया रिपोर्टों को 'ग़लत और अटकल लगाने वाली' क़रार दिया।
सरकार ने निजी क्षेत्र को देने के लिए जितने कोरोना टीके सुरक्षित रखे, उसमें से आधा टीके सिर्फ 9 कॉरपोरेट अस्पतालों ने ले लिए, जिनके अस्पताल बड़े शहरों में हैं।
सरकार ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के सिलसिले में हर फ़ैसला अपने राजनीतिक नफा-नुक़सान को ध्यान में रखकर और अपनी छवि चमकाने के मक़सद से किया है। इससे कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान भी बुरी तरह लड़खड़ा गया है।
केंद्र सरकार ने बायोलॉजिकल-ई की कोरोना वैक्सीन के लिए लिए क़रार किया है और 30 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर दिया है। देश में ही विकसित बायोलॉजिकल-ई की कोरोना वैक्सीन का फ़िलहाल ट्रायल चल रहा है।
वैक्सीन की कमी पर अब दिल्ली हाई कोर्ट ने बेहद तख़्त टिप्पणी की है। इसने केंद्र सरकार से कहा है कि कुछ अधिकारियों पर 'मानवहत्या' का मुक़दमा चलना चाहिए क्योंकि वैक्सीन की कमी के कारण इतनी ज़्यादा मौतें हो रही हैं।