देश में 100 करोड़ टीके लगने पर जश्न का माहौल तो ठीक है, लेकिन टीकाकरण के मौजूदा हालात भी कम चिंताजनक नहीं है। ये जो टीके लगाए गए हैं इनमें से वैक्सीन लगाने की योग्य आबादी के क़रीब 30 फ़ीसदी लोगों को ही दोनों खुराक लगाई जा सकी हैं। क़रीब 71 करोड़ पहली खुराक लगाई गई हैं और बाक़ी की क़रीब 29 करोड़ ही दूसरी खुराक लगाई जा सकी हैं। एक खुराक लगाने का मतलब है कि वे अभी भी कोरोना संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और इसके फैलने का ख़तरा है। बच्चों को अभी भी टीका लगाया जाना शुरू नहीं हुआ है। अक्टूबर महीने में टीकाकरण की रफ़्तार कम हुई है। और काफ़ी पहले जिन्हें टीके लग गए हैं उनमें एंटी-बॉडी कमजोर पड़ने लगी है। यानी ऐसे लोगों के लिए तीसरी खुराक ज़रूरी हैं।
देश की आबादी 130 करोड़ से ज़्यादा है। सरकार ने ही कहा है कि इनमें से 93-94 करोड़ लोग 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के हैं यानी वयस्क हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ़ पूरी वयस्क आबादी को ही टीके लगाने के लिए क़रीब 190 करोड़ खुराक चाहिए। यदि बच्चों को भी शामिल कर लिया जाए तो 260 करोड़ से ज़्यादा खुराक चाहिए।
इस साल की शुरुआत में कोरोना टीके लगाए जाने शुरू किए गए थे। इसका मतलब है कि क़रीब 10 महीने में 100 करोड़ ही टीके लगाए जा सके हैं। यानी पूरी आबादी को टीके लगाने में अभी भी वक़्त लगेगा? सरकार ने कहा था कि वह इस साल के आख़िर तक पूरी वयस्क आबादी को दोनों टीके लगा देगी, लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है। सरकार अपने इस लक्ष्य से पीछे चल रही है। जहाँ तक बच्चों को टीके लगाने का सवाल है तो उनको टीके लगाए जाने शुरू भी नहीं किए गए हैं। हालाँकि, टीके के इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसे लगाए जाने में अभी भी समय लगेगा।
बहरहाल, 75% वयस्कों को पहली खुराक लगने के बाद सरकार ने बड़े पैमाने पर अपनी पीठ थपथपाने का अभियान छेड़ रखा है। इसकी बानगी स्वास्थ्य मंत्रालय के चमकदार ग्राफिक्स में तो नज़र आती ही है, प्रधानमंत्री मोदी भी इसमें पीछे नहीं दिखाई देते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर कुछ इस तरह बधाई दी है-
#VaccineCentury #Unite2FightCorona #LargestVaccineDrive
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) October 21, 2021
दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान में भारत ने 100 करोड़ डोज़ की संख्या को पूरा कर लिया है। इस अभियान में योगदान देने वाले सभी को ढ़ेरों बधाईयां और धन्यवाद। pic.twitter.com/1vm7JP2Zfw
Today, when India has achieved a #VaccineCentury, I went to a vaccination centre at Dr. Ram Manohar Lohia Hospital. The vaccine has brought pride and protection in the lives of our citizens. pic.twitter.com/MUObjQKpga
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2021
देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के कार्यालय ने ट्वीट किया कि मंडाविया 100 करोड़ टीके लगाए जाने के जश्न में एक गीत और ऑडियो-विजुअल फ़िल्म लॉन्च करेंगे।
Dr @MansukhMandaviya ji will launch a song and audio-visual film to celebrate India's milestone of 100 crore #COVID19 vaccinations.
— Office of Dr Mansukh Mandaviya (@OfficeOf_MM) October 21, 2021
🗓️ October 21, 2021
🕧 12:30 PM
📌 Red Fort, New Delhi pic.twitter.com/vnUqeIpvT5
100 करोड़ खुराक लगाने के बाद सरकार में जिस तरह के जश्न का माहौल दिखाई दे रहा है उससे लगता है कि उनको अपने सामने खड़ी चुनौतियों का एहसास नहीं है। इसकी एक मिसाल तो यही है कि कोविन वेबसाइट पर टीकाकरण की रफ़्तार धीमी होने का संकेत मिल रहा है।
कोविन वेबसाइट से पता चलता है कि सितंबर महीने में 10 बार ऐसा हुआ कि एक-एक दिन में 80 लाख से ज़्यादा टीके लगाए गए। लेकिन अक्टूबर महीने में केवल दो दिन ऐसा हुआ जब 80 लाख से ज़्यादा टीके लगाए गए।
4 अक्टूबर को पहली और दूसरी खुराक वयस्क आबादी के 70.1% और 26.3% तक मिल पाई थी। इससे पहले यह आँकड़ा 20 सितंबर को 64% और 21.7% था। यानी सितंबर महीने के पखवाड़े में 6.1 और 4.6 पर्सेंटेज प्वाइंट की वृद्धि हुई। जबकि 18 अक्टूबर तक के पखवाड़े में केवल 3.9 और 3.7 पर्सेंटेज प्वाइंट की बढ़ोतरी देखी गई और यह पहली-दूसरी खुराक वयस्क आबादी के 74% और 30% पर लग पाई। साफ़ है कि टीकाकरण की रफ़्तार धीमी हुई है। पिछले दो दिनों में तो 43-44 लाख टीके ही हर रोज़ लगाए गए।
लेकिन विडंबना यह है कि आपूर्ति अब पर्याप्त मात्रा में है। राज्यों के पास 10.78 करोड़ खुराक स्टॉक में पड़ी हैं। इसका मतलब साफ़ है कि लोगों को टीका लगवाने के लिए उस तरह प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है, उस तरह का अभियान नहीं चलाया जा रहा है जिस तरह पहले किया जा रहा था। इसकी ज़िम्मेदारी जितनी स्वास्थ्य कर्मियों की है उतनी ही सरकार की भी। बहरहाल, 100 करोड़ टीका लगाने के जश्न में कोई कमी नहीं दिख रही है।
वैसे, दुनिया भर के विकसित देशों से तुलना करें तो भारत ने अपनी वयस्क आबादी के जितने प्रतिशत लोगों को दोनों खुराक लगवाई हैं उससे कहीं ज़्यादा दूसरे कई देशों ने लगवाई हैं। ब्लूमबर्ग वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार अमेरिका ने ऐसे 57 फ़ीसदी, चीन ने 74 फ़ीसदी, जापान ने 68 फ़ीसदी, इंग्लैंड ने 68 फ़ीसदी, ब्राज़ील ने 51 फ़ीसदी, कनाडा ने 73 फ़ीसदी, यूरोपीय यूनियन ने 66 फ़ीसदी लोगों को दोनों टीके लगवा दिए हैं। चीन अब तक सबसे ज़्यादा 223 करोड़ से भी ज़्यादा खुराक लगवा चुका है।
पूरी आबादी को दोनों खुराक नहीं लगने का ही असर है कि कई देशों में फिर से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। डेल्टा-प्लस वैरिएंट फिर से सिर उठा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि वैक्सीन से बनी एंटी-बॉडी कमजोर पड़ने लगी है। इसीलिए अब तीसरी खुराक देने की ज़रूरत बताई जा रही है। कुछ देशों में तीसरी खुराक देने की शुरुआत की भी जा चुकी है, लेकिन भारत में अभी तक इसकी पहल भी नहीं हुई है। भारत में जो अलग-अलग राज्यों में वैक्सीन का स्टॉक पड़ा हुआ है उसका लोगों को तीसरी खुराक देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन लगता है कि अभी तक इसके लिए कोई ठोस योजना भी नहीं बनी है!
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