गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में कोरोना वायरस के तेज़ी से फैलने पर लॉकडाउन में सख़्ती की गई है। दूध और दवा की दुकानों को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान एक हफ़्ते के लिए बंद रहेंगे।
लॉक डाउन ख़त्म करने को लेकर केंद्र और राज्यों की सरकारें दुविधा में हैं और बदहाल होती अर्थ व्यवस्था माध्यम वर्ग को भी संकट में डालने की तरफ़ बढ़ रही है। शैलेश की रिपोर्ट।
केंद्र और राज्य सरकारें यह दावा कर रही हैं कि इन मज़दूरों को खाने के सामान उपलब्ध कराये जा रहे हैं पर तमाम राज्यों और शहरों से गाँवों की तरफ़ सड़कों पर उमड़ती भीड़ इन दावों की सच्चाई पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
कर्नाटक सरकार ने प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को रद्द कर दिया है। हज़ारों श्रमिक कर्नाटक में फंसे हुए हैं। Satya Hindi
लॉकडाउन के बाद बेरोज़गारी दर भयावह बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले 15 मार्च वाले सप्ताह में जहाँ बेरोज़गारी दर 6.74 फ़ीसदी थी वह तीन मई को ख़त्म हुए सप्ताह में बढ़कर 27.11 फ़ीसदी हो गई है।
क्या सरकार को इतनी मामूली सी बात भी नहीं पता कि पेट्रोल-डीज़ल के दाम आसमान छूने से सबसे ज़्यादा असर मध्य वर्ग पर ही पड़ेगा। मध्यम वर्ग पर ही आर्थिक मन्दी और बेरोज़गारी की सबसे तगड़ी मार पड़ी है।
विश्वव्यापी महामारी कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन की वजह से मध्य प्रदेश की देवास बैंक नोट प्रेस में पिछले क़रीब छह सप्ताह से नोटों की प्रिंटिंग का काम ठप है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बुधवार को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना संकट को लेकर बन रहे ताज़ा हालात पर चर्चा करेंगी।
हम जो कुछ भी इस समय अपने ईर्द-गिर्द घटता हुआ देख रहे हैं उसमें नया बहुत कम है, शासकों के अलावा। केवल सरकारें ही बदलती जा रही हैं, बाक़ी सब कुछ लगभग वैसा ही है जो पहले किसी समय था।