केरल से दोगुना से ज़्यादा आबादी के राज्य मध्य प्रदेश में 3 मार्च के बाद से कथित तौर पर राजनीतिक-प्रशासनिक लॉकडाउन तो था ही 26 मार्च से बाक़ी देश के साथ कोरोना के लॉकडाउन में भी आ गया।
वर्तमान कोरोना वायरस की समस्या कुछ समय बाद ख़त्म हो जाएगी और फिर आर्थिक समस्याएँ अधिक उग्र रूप में हमारे उपमहाद्वीप में उत्पन्न होंगी। केवल वैज्ञानिक मानसिकता के बुद्धिजीवी ही इन्हें हल कर सकते हैं लेकिन वर्तमान में इसका बड़ा अभाव है।
इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
मुरादाबाद के एक मोहल्ले में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसवालों पर कुछ मुसलमानों ने हमला कर दिया। कुछ ही समय पहले इंदौर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी इसे मुसलमानों को एक जाहिल वर्ग की हरकत मान कर निन्दा की गयी थी।
कोरोना संक्रमण के हाॅट स्पाॅट् इंदौर में एक अज्ञात कार में बैठे लोग 100, 200 और 500 रुपये के दो दर्जन नोट उड़ाकर फरार हो गये। कार में कितने लोग सवार थे, इसका पता नहीं चल पाया है।
क्या WHO ने अमेरिका और बाक़ी दुनिया को कोरोना के बारे में ग़लत सूचना दी। क्या यह सब चीन के इशारे पर हुआ। इसका मक़सद क्या था। चीन और अमेरिका की ज़ुबानी जंग कहाँ तक जाएगी। शैलेश की रिपोर्ट
मीडिया में उथल पुथल मची हुई है । तमाम नौकरियाँ चली गई हैं और तमाम उसी रास्ते पर हैं । कई जगह वेतन कटौती हो चुकी है । कोरोना प्रलय बन कर आया है । रेवेन्यू के नदारद होते ही कुछ राष्ट्रवादी पत्रकार रातोंरात धर्मनिरपेक्ष हो गये तो कई मध्यमार्गी राष्ट्रवादी । तमाम मज़दूर की भाषा बोलते मिले और तमाम चीखते स्वर गूँगे हो गये । अमर उजाला के संपादक मंडल के नक्षत्र शरद गुप्ता से इस पर सवाल पूछ रहे हैं शीतल पी सिंह
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प मार्च से ही लॉकडाउन हटाने का हट कर रहे थे, मगर मेडिकल एक्सपर्ट ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। लेकिन अब वे किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं और लॉकडाउन हटाने का फ़ैसला थोपने पर आमादा हैं। लगता है अपने चुनाव का डर उन पर इतना हावी हो गंया है कि वे अब अमरीकियों की जानों की चिंता नहीं कर रहे।
क्या लॉकडाउन से हमारी केंद्र व राज्य सरकारों ने वह हासिल कर लिया जिसके दावे किए गए थे? या लॉकडाउन के बाद एक और लॉकडाउन करके ही कोरोना वायरस पर विजय पाने की बात केंद्र व राज्य सरकारों ने सोच रखी है?
सामाजिक मुद्दों पर खरी-खरी बात रखने के लिए पहचाने जाने वाले बॉलीवुड अभिनेता सलमान ख़ान ने कोरोना का इलाज करने वावे डॉक्टरों और नर्सों पर हमले पर कड़ा संदेश दिया है।