कोरोना संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स में 12 सदस्य होंगे।
मेडिकल जर्नल लांसेट ने कोरोना से निपटने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों को लेकर आलोचनात्मक संपादकीय छापा है। पत्रिका ने लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार कोरोना महामारी से निपटने से ज़्यादा आलोचनाओं को दबाने में लगी हुई दिखी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी विपक्ष के नेता होने के बावजूद इस कोरोना काल में सरकार की नीतियों के प्रति तीखा आलोचनात्मक रवैया और हमलावर तेवर रखने के बजाय लगातार सहयोग का रुख़ दिखा रहे हैं।
कोरोना महामारी से हो रही मौतों के बीच सोशल मीडिया पर कुछ नागरिक समूहों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े की माँग यह मानकर की जा रही है कि इससे मौजूदा संकट का तुरंत समाधान हो जाएगा।
ऐसे समय में जब कोरोना संकट के बीच अस्पताल बेड, ऑक्सीजन, दवाएँ, एंबुलेंस सहित हर स्वास्थ्य सुविधाएँ कम पड़ रही हैं, बिहार के बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी के यहाँ कई एंबुलेंस खड़ी मिलने के बाद हंगामा हो गया है।
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल अक्टूबर में मांग की थी कि कोरोना के टीके का एकाधिकार ख़त्म किया जाए और दुनिया का जो भी देश यह टीका बना सके, उसे यह छूट दे दी जाए।
देश में पहली बार एक दिन में 4 हज़ार से ज़्यादा कोरोना मरीज़ों की मौतें हुई हैं। 24 घंटे में रिकॉर्ड 4187 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही आज लगातार तीसरे दिन कोरोना के 4 लाख से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए हैं।
कोरोना के हालात पर काबू पाने के लिए तमिलनाडु में दो हफ़्ते के लिए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है। लॉकडाउन 10 मई से शुरू होगा। राज्य में हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कोरोना ने विकराल रूप धारण कर लिया है। प्रतिदिन साढ़े तीन-चार लाख के दायरे में संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। उसी अनुपात में मौतें भी हो रही हैं। बार-बार यह सवाल ज़हन में उठता है कि आख़िर चूक कहाँ हुई।
बेंगलुरू नगरपालिका और निजी अस्पतालों की साँठगाँठ में फलफूल रहा है बेड आबंटन स्कैम। क्या गारंटी कि इस तरह की जालसाजी और शहरों में नहीं हो रही? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण।
प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक ट्वीट से बवाल मच गया। उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात की, बेहतर होता कि वह काम की बात सुनते भी'।
ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर केंद्र सरकार आज कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपना केस हार गई। केंद्र ने कर्नाटक के लिए हर रोज़ ऑक्सीजन आवंटन को बढ़ाकर 1,200 मीट्रिक टन करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी
मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर से केंद्र को झटका दिया है। दो मामलों में। एक तो अदालत ने केंद्र को कहा कि वह दिल्ली को हर रोज़ 700 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन दे। और दूसरे कर्नाटक को भी पर्याप्त आपूर्ति करने को कहा।