पूरे देश में कोरोना से मच रहे हाहाकार के बीच संकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के लिए आज कुछ राहत की ख़बर आई है। राज्य में पिछले 24 घंटे में 48,621 लोग संक्रमित पाए गए जबकि 59,500 लोग ठीक भी हुए हैं।
देश में सोमवार को 24 घंटे में साढ़े तीन लाख से ज़्यादा नये पॉजिटिव केस आए। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एक दिन में 3 लाख 57 हज़ार 229 मामले आए और इस दौरान 3449 लोगों की मौत हुई।
कोरोना संकट देश में भयावह हो गया है। अब समय आ गया है पूछने का कि कितनी मौतों के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री अपने को उत्तरदायी मानेंगे?
कोविड की महामारी अमेरिका, यूरोप और दक्षिण अमेरिका के देशों के बाद अब भारत में तबाही मचा रही है। इस पर काबू पाने के लिए भारत को भी अमेरिका, यूरोप और चीन की तरह टीकाकरण करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट जाकर अपने लिए खास परमिशन ले आए कि लॉकडाउन न लगाना पड़े। लेकिन हारकर आख़िरकार उन्हें भी लॉकडाउन ही आख़िरी रास्ता दिखता है, कोरोना के बढ़ते कहर को थामने का। महाराष्ट्र ने कड़ाई बरती तो फायदा भी दिख रहा है।
कोरोना वायरस की असली शक्ति है मनुष्य के रक्त के आरबीसी में प्राकृतिक मोलिक्यूल—बिलीवरडीन और बिलीरुबिन- जो शरीर में बने एंटीबाडीज को भी रोक देते हैं और स्वयं इस प्रोटीन के साथ जुड़ कर कोरोना को सुरक्षित कर देते हैं।
जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि इन चुनावों की कितनी क़ीमत लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई है, तो शायद इन लोगों के पास कोई जवाब नहीं होगा। जब इतिहास यह सवाल पूछेगा कि कुंभ में स्नान करने से कितनों की जान गयी तो कोई जवाब नहीं होगा?
आज़ादी के बाद की स्मृतियों में अब तक के सबसे बड़े नागरिक संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी क्या संवेदनात्मक रूप से उतने ही विचलित हैं जितने कि उनके करोड़ों देशवासी हैं?
कोरोना संक्रमण से मरने वालों के आँकड़े छिपाए जाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? यदि श्मशान व कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किए जाने वालों की संख्या और मौत के सरकारी आँकड़ों में अंतर होगा तो सवाल तो उठेंगे ही।
एक तरफ़ कोरोना टीकों की कमी है तो दूसरी तरफ हर कोई लगवा सकता है और टीके की क़ीमत तय नहीं है। सरकार मुफ्त में किन लोगों को लगवाएगी, यह भी तय नहीं हुआ है, काम शुरू होना तो छोड़िए। आख़िर टीकाकरण की नीति क्या है?
ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तक की भयानक कालाबाजारी है। लोग लाख लाख रुपए में रेमडेसिविर खरीद रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ऐसे में लोग एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में फिर से देश के अधिकतर हिस्सों में बेपटरी हो रहे जन-जीवन के बीच ग़रीबों के लिए केंद्र सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की है। सरकार ग़रीबों को मई और जून महीने में 5 किलो अनाज देगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ बैठक की तो उसमें विवाद हो गया। मुद्दा उठा था ऑक्सीज़न की कमी का। केजरीवाल ने मुद्दा उठाया
ऑक्सीजन की कमी के कारण नाशिक के अस्पताल में हुई 24 लोगों की मौत दिल दहलानेवाली ख़बर है। ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें देश के कई शहरों से आ रही हैं। लेकिन बंगाल में उनका चुनाव अभियान पूरी बेशर्मी से जारी है।