बच्चों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं। सरकारी आंकड़ा ही कहता है कि मार्च से अगस्त के बीच मामले बढ़े हैं। क्यों बढ़ रहे हैं मामले और कितना ख़तरा है इससे?
कोरोना से जुड़े मौत के किन मामलों में मौत का कारण कोरोना को माना जाएगा, इस पर सरकार ने स्थिति अब साफ़ कर दी है। इसने हलफ़नामा देकर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि इसको लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं।
कोरोना संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबॉडी यदि शरीर में ख़त्म भी हो जाए तो हमारे इम्युन सिस्टम में बी सेल और टी सेल ऐसे हैं जो कोरोना वायरस को याद रख लेते हैं। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
केरल में गुरुवार को 30 हज़ार से ज़्यादा कोरोना संक्रमण के केस आए। जून के बाद से लगातार मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। तो क्या एक समय कोरोना नियंत्रण के लिए जिस केरल मॉडल की तारीफ़ हो रही थी वह 'टांय-टांय फिस्स' साबित नहीं हुआ?
जोखिम वाले समूहों से ही क़रीब 1.65 करोड़ लोगों ने समय पर दूसरी खुराक ली ही नहीं। समय पर से मतलब है लोगों को जितने दिनों के अंतराल में दूसरी वैक्सीन लगवानी थी उसे वे नहीं लगवा पाए। ऐसा तब है जब तीसरी लहर आने की आशंका है।
विशेषज्ञों की सरकारी कमेटी ने ही तीसरी लहर की आशंका और इसके लिए 'अपर्याप्त' तैयारी को लेकर चेताया है। दूसरी लहर से पहले भी विशेषज्ञों की एक कमेटी INSACOG ने भी ऐसी ही चेतावनी जारी की थी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट यानी एनआईडीएम की गठित एक कमेटी ने चेताया है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए भी उतनी ही ख़तरनाक होगी जितनी की व्यस्कों के लिए। उन्होंने कहा है कि भयावह स्तर की अपर्याप्त व्यवस्था है।
फिच समूह की इंडिया रेटिंग्स ने टीकाकरण की रफ़्तार कम होने की वजह से भारत की जीडीपी अनुमान घटा दिया है। इसने कहा है कि जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.6 फ़ीसदी नहीं, बल्कि अब 9.4 फ़ीसदी ही रहने की संभावना है।
एक शोध के अनुसार, भारत के आयुर्वेद मंत्रालय द्वारा हल्के और मध्यम कोविड संक्रमण के ख़िलाफ़ एक उपाय के रूप में प्रचारित और इसके क्लिनिकल प्रबंधन प्रोटोकॉल में शामिल एक हर्बल फॉर्मूलेशन का संक्रमण के ख़िलाफ़ कोई लाभकारी प्रभाव नहीं है।
कोरोना वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट के ख़िलाफ़ काफ़ी कम प्रभावी हैं। यह इंग्लैंड के एक शोध में सामने आया है। और भारत के आईसीएमआर के शोध में भी। ऐसे में टीके की दोनों खुराक लिए हुए लोगों को बूस्टर खुराक की ज़रूरत पड़ सकती है।
कोरोना से ठीक हुए कई लोग भी संक्रमित हो रहे हैं और कोरोना का टीका लगाए हुए लोग भी। इसका मतलब है कि 'हर्ड इम्युनिटी' की संभावना धुमिल होती दिख रही है। तो क्या कोरोना कभी ख़त्म नहीं होगा?
सोशल मीडिया पर शेयर किए गए कुछ वीडियो में चीनी अधिकारी घरों के बाहर लोहे की छड़ें लगाते दिखते हैं। तो क्या वुहान में पिछले साल कोरोना को फैलने से रोकने में सफलता का राज यही है?