हाथरस मामले में राहुल गाँधी ने सीधे योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है। उन्होंने दलित, मुसलिम और आदिवासियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस के लिए पीड़िता 'कोई नहीं' थी इसलिए किसी का दुष्कर्म हुआ ही नहीं।
पीड़िता के पक्ष में बने माहौल की काट के लिए अब अभियुक्तों के पक्ष में अभियान शुरू कर दिया गया है, जिसका नतीजा है फर्ज़ी वीडियो और फेक न्यूज़ की बाढ़। लेकिन इसके पीछे किसका हाथ है? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
हाथरस मामले में 10 हज़ार नारीवादियों ने बयान जारी किया है। उन्होंने हाथरस गैंगरेप और हत्या की निंदा की है और इसके दोषियों, ज़िम्मेदार अफ़सरों पर कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं, दलितों, ग़रीबों पर अपराध बढ़ गया है।
हाथरस की घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। क्यों होती हैं इस तरह की घटनायें? क्यों दलित समाज है सवर्ण जातियों के निशाने पर? क्या है बर्बरता के असली कारण? दलित और सवर्ण समाज के बीच क्या बदल रहा है?
उत्तर प्रदेश सरकार फ़ोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की जिस रिपोर्ट के आधार पर हाथरस में बलात्कार की घटना को सिरे से खारिज कर रही थी, उस रिपोर्ट को ही खारिज कर दिया गया है।
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद रावण और 400-500 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ महामारी एक्ट और आईपीसी की धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की गई है। राहुल व प्रियंका पर भी केस दर्ज किए गए थे। फिर हाथरस में सवर्णों की पंचायत कैसे हो रही है?
हाथरस मामले में आरोपियों के पक्ष में ठाकुर समुदाय ने भगना में पंचायत की। संयोजन सिकन्दराराव (हाथरस) के बीजेपी विधायक वीरेन्द्रसिंह राणा कर रहे थे। आख़िर क्या है लखनऊ से कनेक्शन?
हाथरस मामले में आरोपियों के पक्ष में सवर्ण समाज के एकजुट होने और पंचायत करने से तनाव फैलने के आसार हैं। पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान ने तो चारों आरोपियों को निर्दोष बताया है। आख़िर आरोपियों के समर्थन में क्यों आ जाता है सवर्ण समाज?
मध्य प्रदेश में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार एक दलित महिला द्वारा फाँसी लगाकर जान देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि रेप की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी, उल्टे उसके परिजनों को ही पुलिस परेशान कर रही थी।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आँकड़ा है कि 2012 से 2017 में बलात्कार के मामले 35 फ़ीसदी बढ़े। 2012 में निर्भया कांड के बाद कई क़ानून में बदलाव हुए, लेकिन दुष्कर्म नहीं कम हुए। क्या क़ानून-व्यवस्था की विफलता के कारण हाथरस गैंगरेप जैसे मामले बढ़ रहे हैं?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाथरस गैंगरेप मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। अदालत ने राज्य प्रशासन से सख्त लहजे में कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि पीड़िता के परिवार पर कोई भी किसी तरह का दबाव नहीं डाल सके।
हाथरस गैंगरेप मामले में चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने कहा कि परिवार की गैर मौजूदगी में देर रात को शव जला दिए जाने का साफ़ मतलब है कि यूपी सरकार और पुलिस सबूतों को ख़त्म करना चाहती है।
‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है।