‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है। बलरामपुर में 22 साल की एक दलित युवती के साथ दो लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके दोनों पांव और कमर को तोड़ दिया। यह घटना जिले के गैसाड़ी गांव में मंगलवार को हुई है।
बी.कॉम दूसरे वर्ष की यह छात्रा अपनी फ़ीस जमा करने के लिए घर से निकली थी। परिवार का कहना है कि वह एक प्राइवेट फर्म में काम भी करती थी। उन्होंने कहा कि जब वह वापस लौट रही थी तो उसका अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किया गया।
दबंगों ने बलात्कार की वारदात को अंजाम देने के बाद दलित युवती को रिक्शे पर बिठाकर घर भेज दिया। युवती उस वक्त अचेत अवस्था में थी। परिजनों ने कहा है कि उनकी बेटी के दोनों पैर और कमर की हड्डी तोड़ दी गई थी। हालत गंभीर होने पर परिवार वाले उसे लखनऊ के किसी अस्पताल में ले जा रहे थे लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को बलात्कार से पहले कोई घातक इंजेक्शन लगाया गया था।
युवती की मां ने रोते हुए कहा, ‘जब मेरी बच्ची लौटी तो वह बोल और खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। उसने कहा, मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैं जिंदा नहीं बचूंगी। मुझे बचा लो, मैं मरना नहीं चाहती।’
पुलिस का अजीब रवैया
हाथरस मामले में दलित युवती के बयान देने के बाद कि उसके साथ दरिंदगी हुई है, लेकिन सरकारी रिपोर्ट में इसका कहीं कोई जिक्र न करने वाली योगी सरकार की पुलिस यहां भी वही काम कर रही है। बलरामपुर पुलिस ने कहा है कि पैर व कमर तोड़ने वाली बात सही नहीं है क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। जबकि हाथरस की ही तरह यहां पर भी युवती के परिजन चीख-चीखकर कर रहे हैं कि अभियुक्तों ने बेरहमी करते हुए उनकी बेटी के दोनों पांव और कमर को तोड़ दिया।
हाथरस के प्रकरण में अभियुक्तों द्वारा बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया था।
पुलिस ने युवती के भाई की शिकायत पर शाहिद और साहिल नाम के दो लोगों को सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने कहा है कि एक किराने की दुकान के पीछे बने कमरे में इस युवती के साथ बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस के मुताबिक़, पीड़िता की सैंडल कमरे के बाहर मिली हैं और इस किराने की दुकान का मालिक इस घटना का प्रमुख अभियुक्त बताया जा रहा है।
पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई है कि अभियुक्तों ने बलात्कार के बाद पीड़िता का इलाज कराने की कोशिश की। उन्होंने एक नजदीकी डॉक्टर को बुलाया लेकिन हालात संदिग्ध लगने पर डॉक्टर ने युवती के परिजनों की मौजूदगी के बिना इलाज करने से मना कर दिया।
अपनी राय बतायें