दिल्ली दंगों के दौरान फ़ेसबुक पर नफ़रत वाली सामग्री कितनी थी और क्या कार्रवाई की गई थी? दिल्ली के विधानसभा पैनल के सामने नफ़रत वाली सामग्री को लेकर क्या फ़ेसबुक सही से जवाब दे रहा है?
दिल्ली दंगों की जाँच में भारी गड़बड़ी । अदालत नाराज । अदालत ने कहा कि ऐसी जाँच से लोकतंत्र की आत्मा को तकलीफ़ पहुँचती है । आख़िर ऐसा क्यों हो रहा है ? ये जानने के लिये आशुतोष ने मशहूर वकील प्रशांत भूषण से ।
राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर रविवार को समान नागरिक संहिता के समर्थन में एक रैली हुई, लेकिन उसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक नारे लगाए गए। दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता ने इसका आयोजन किया था।
दिल्ली के सत्र न्यायालय ने एक बेहद अहम फ़ैसले में दिल्ली पुलिस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि उसने दिल्ली दंगा के दौरान गोली चलाने के अभियुक्तों के बचाव में साक्ष्य गढ़ा था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले में मंगलवार को जब देवांगना कालिता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल तन्हा को जमानत दी तो सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई।
यह 1968 का साल था। अमेरिका तरह-तरह के उथल-पुथल से गुज़र रहा था। लिंडन जॉन्सन राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश को वियतनाम युद्ध में झोंक रखा था और उनकी सरकार अपने लोगों से युद्ध का सच छुपा रही थी। नाकाम सरकार अब अमेरिका पर ख़तरे का डर दिखा रही थी और अपने विरोधियों को जेल भेज रही थी।
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दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद को जमानत दे दी है। उमर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में आरोपी रूप में जेल में रखा गया था।