मई में ही अप्रैल महीने के लिए थोक महंगाई का जो आँकड़ा आया उसमें महंगाई बढ़ने की दर ग्यारह साल की नई ऊंचाई पर दिख रही है। पिछले साल के मुक़ाबले साढ़े दस परसेंट ऊपर।
खाने के तेलों के दाम इतने बढ़ गए हैं कि लोगों की पहुँच से बाहर होते जा रहे हैं। हालत यह है कि सरसों का तेल जो ग़रीबों का खाद्य तेल माना जाता है खुदरा बाज़ार में डेढ़ सौ रुपए लीटर से भी ज़्यादा का हो गया है।