दिल्ली दंगों के दौरान फ़ेसबुक पर नफ़रत वाली सामग्री कितनी थी और क्या कार्रवाई की गई थी? दिल्ली के विधानसभा पैनल के सामने नफ़रत वाली सामग्री को लेकर क्या फ़ेसबुक सही से जवाब दे रहा है?
फ़ेसबुक पर क्यों आरोप लग रहा है कि नफ़रत और हिंसा वाली सामग्री पर कार्रवाई नहीं की? जानिए, एक के बाद एक रिपोर्टें फ़ेसबुक के आंतरिक सिस्टम को कैसे उजागर कर रही हैं।
फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने वाली सामग्री को रोकने में विफल रहने का आरोप क्यों लगते रहा है? अब रिपोर्ट आई है कि फ़ेसबुक ने नफ़रत वाली सामग्री की समीक्षा करने वाले खर्च में कटौती की योजना बनाई थी।
फ़ेसबुक पर आख़िर बार-बार नफ़रत फैलाने का आरोप क्यों लगता है? आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठने के बाद फ़ेसबुक ने ही अब क्यों कहा है कि अल्गोरिदम का गहन विश्लेषण किया गया?
विवादों में रही फ़ेसबुक इंडिया की निदेशक आँखी दास ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके पद छोड़ने की वजह का पता नहीं लग सका है, पर इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि फ़ेसबुक ने उन्हें ख़ुद हटने को कहा हो।
एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली विधानसभा की समिति से कहा है कि वह फ़ेसबुक इंडिया के उपाध्यक्ष व प्रबंध निदेशक अजीत मोहन के ख़िलाफ़ 15 अक्टूबर तक कोई कार्रवाई न करे।
बीजेपी नेताओं के नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट नहीं हटाने का आरोप झेल रहा फ़ेसबुक अपने रुख पर अड़ा हुआ है और दूसरे ग़ैर-बीजेपी दल की दिल्ली सरकार को ठेंगा दिखा रहा है। दिल्ली विधानसभा की कमेटी के बुलाने पर कंपनी का कोई प्रतिनिधि नहीं गया।
हेट पोस्ट का आरोप झेल रहे फ़ेसबुक पर कई देशों में चुनावों को प्रभावित करने के प्रयास का आरोप लगा है। फ़ेसबुक के ही एक पूर्व कर्मचारी ने यह आरोप लगाया है। इसमें दिल्ली चुनाव भी शामिल है।
सूचना प्रौद्योयगिकी पर बनी संसद की स्थायी समिति के चेयरमैन के तौर पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर का फैसबुक को नोटिस दे कमेटी के सामने पेश होने का फ़ैसला बीजेपी को बुरा क्यों लगा?
ग़लती फ़ेसबुक ने की। सवाल फ़ेसबुक पर उठे। क्या कांग्रेस, क्या बीजेपी- दोनों ने इस वैश्विक प्लेटफ़ॉर्म के राजनीतिक दुरुपयोग को लेकर फ़ेसबुक को ही चिट्ठियाँ भी लिखीं। अब भारत सरकार भी फ़ेसबुक के प्रमुख को ही चिट्ठी लिख रही है!
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चिट्ठी में आरोप लगाया है कि फ़ेसबुक के एम्प्लॉयी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों को गालियां देते हैं और यह बात रिकॉर्ड पर है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के नए भंडाफोड़ ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि अंखी दास फेसबुक में मोदी के एजेंडे को आगे बढ़ा रही थीं। वे मोदी के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही थीं और मुसलमान-विरोधी पोस्ट न रोकना इसमें शामिल था। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट