अड़ियल फ़ेसबुक
दिल्ली विधानसभा की शांति व सद्भाव समिति ने फ़ेसबुक इंडिया के शीर्ष अधिकारियों को नोटिस भेज कर बुलाया था। एनडीटीवी ने एक ख़बर में कहा है कि मंगलवार को वह बैठक होनी थी। पर फ़ेसबुक का कोई आदमी उसमें नहीं गया।जले पर नमक छिड़कने का बर्ताव करते हुए फ़ेसबुक ने टका सा जवाब दिया है कि यह मामला केंद्र के तहत आता है और वह संसद की एक समिति के सामने पहले ही पेश हो चुका है।
टका सा जवाब!
फ़ेसबुक इंडिया ने एक बयान में कहा कि लोकसभा की स्थायी समिति ने यह मुद्दा उठाया और उसके लोग संसदीय समिति के सामने पेश हो चुके हैं, लिहाज़ा, दिल्ली विधानसभा को अपना समन वापस ले लेना चाहिए।समिति को लिखी चिट्ठी में इस सोशल मीडिया साइट ने कहा है,“
'फ़ेसबुक का नियमन पूरी तरह भारतीय संघ के तहत आता है। चूंकि यह मामला संसद के पास विचाराधीन है, हम आपके नोटिस और बुलावे का विरोध करते हैं।'
फ़ेसबुक इंडिया की चिट्ठी का अंश
विधानसभा का अपमान?
आम आदमी पार्टी के विधायक राघव चड्ढा इस समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि 'फ़ेसबुक के कहने का मतलब यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी और क़ानून व्यवस्था के मामले केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए इस मामले में दिल्ली विधानसभा को नहीं पड़ना चाहिए।'दिल्ली विधानसभा ने इसे काफी गंभीरता से लिया है।इसके सदस्यों ने कहा है कि 'फ़ेसबुक के लोगों ने दिल्ली विधानसभा के चुने हुए सदस्यों का अपमान किया है। समिति को यह अधिकार है कि वह फरवरी में दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े सवालों के जवाब देने के लिए फ़ेसबुक के लोगों को बुलाए।'
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