2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के बाद, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर और इन क्षेत्रों के अन्य पश्चिमी जिलों के किसान धार्मिक क्षेत्रों में ध्रुवीकृत हो गए थे और हिंदू हिंदुत्ववादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रबल समर्थक बन गए थे।
किसान आंदोलन को लेकर हरियाणा में भी जबरदस्त उबाल है। किसान और आम लोग हरियाणा सरकार के द्वारा इंटरनेट को बंद किए जाने से आग बबूला हैं और सड़कों पर उतर आए हैं।
किसानों के बीच बढ़ता ग़ुस्सा और समर्थन । आंदोलनरियों के खिलाफ मोर्चाबंदी या लोकतंत्र का मजाक ?आशुतोष के साथ चर्चा में आलोक जोशी, विजय त्रिवेदी, विनोद अग्निहोत्री, अश्विनी साही, और अनिल शर्मा।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।स्वामी का सुझाव - राज्यों पर छोड़ दें कृषि क़ानूनों को लागू करना।हरियाणा:टोल प्लाजा पर जुट रहे हज़ारों किसान, हाइवे कर रहे ब्लॉक
इतनी बड़ी किसान आबादी को क्यों नाराज़ कर रही मोदी सरकार? RSS के संगठन ने भी किया कंपनियों के निजीकरण का विरोध! पंजाब में क्या माहौल बिगड़ रहा है? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण। Satya Hindi
बीजेपी का गढ़ रहा पश्चिमी यूपी भी अब बीजेपी के ख़िलाफ़ लामबंद होते हुए दिख रहा है। राजस्थान में भी महापंचायतों में जनसैलाब उमड़ने लगा है। पंजाब हरियाणा में पहले से ही किसान एकजुट हो चुके हैं. तो क्या बीजेपी को महंगा पड़ने वाला है किसान आंदोलन? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार ने गणतंत्र दिवस के दिन निकाली गई ट्रैक्टर परेड के बाद ग़ायब हुए लोगों को खोजने के लिए हेल्पलाइन नंबर 112 जारी किया है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। पुलिस ने लगाए कटीले तार, बैरिकेडिंग, राहुल बोले - दीवार नहीं पुल बनाइए । दिल्ली HC: हिरासत किसानों की रिहाई वाली याचिका खारिज
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। किसान आंदोलन: राजस्थान में भी हो रही महांपचायतें, उमड़े लोग । नवरीत की मौत पर विवाद जारी, अब द गार्जियन अख़बार का दावा!
गणतंत्र दिवस के दिन हिंसा को लेकर हिरासत में लिए गए प्रदर्शन करने वाले किसानों को रिहाई वाली याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। याचिका में कहा गया था कि इन किसानों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।
किसान आंदोलन का नया केंद्र बने ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बीते एक हफ़्ते में कई राजनीतिक दलों के नेता पहुंचे हैं। हालांकि किसानों ने किसी नेता को उनके मंच का राजनीतिक इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को इस बात का अंदाजा कतई नहीं रहा होगा कि ग़ाज़ीपुर बॉर्डर खाली कराने की उसकी कोशिश का इतना जबरदस्त रिएक्शन होगा कि माहौल ही बदल जाएगा।
क्या सरकार को लगता है कि किसानों को आंदोलन करने से दीवारें और कंटीले तार रोक पाएँगे? किसानों के प्रदर्शन स्थल पर जिस तरह से दीवारें खड़ी की जा रही हैं, कंटीले तार लगाए जा रहे हैं और गड्ढे खोदे जा रहे हैं उससे यह सवाल उठना लाजिमी है।