आर्थिक मोर्चे पर ख़ुशख़बरी है। देश का जीडीपी लगातार दो तिमाही में सिकुड़ने के बाद अब तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर सकारात्मक हो गई है। सरकार की ओर से जारी अक्टूबर-दिसंबर में यह विकास दर 0.4 फ़ीसदी रही है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ही नहीं, घरेलू एजेन्सियां भी चिंता जता चुकी हैं। लगभग सबका मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था दिन बन दिन बद से बदतर होती जा रही है।
निर्मला सीतारमण के पति ने उनकी तीखी आलोचना की है और ये कहा है कि अब तो भगवान के नाम पर कुछ कदम उठा ले । उनके पति परकाल प्रभाकर ने ट्वीट कर अपनी पत्नी के बयान पर अपनी नाराज़गी जताई है ।
पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर -23.9 रही है। रिपोर्ट है कि अगली तिमाही में भी यह नकारात्मक रहेगी। यानी 40 साल में पहली बार भारत आर्थिक मंदी की चपेट में जा चुका होगा।
जीडीपी में गिरावट, बढ़ती बेरोज़गारी, बेलगाम कोरोना संक्रमण और चीनी अतिक्रमण को लेकर राहुल गाँधी ने मोदी पर हमला किया है। उन्होंने कहा है कि देश प्रधानमंत्री मोदी द्वारा खड़े किए गए संकटों का सामना कर रहा है।
सबसे तेज़ वृद्धि दर वाली जीडीपी कुछ ही वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। विकासशील देशों पर या जी-7 देशों पर नज़र डाली जाए तो साफ दिखता है कि -23.9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ यह स्पेन से भी नीचे जा चुका है।
अब अमेरिकी निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर अगले साल यानी 2021 में घट कर 1.6 प्रतिशत पर आ जाएगी।