भारत की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पँहुच रही है, इस बात का एक और संकेत शनिवार को मिला। 2020-21 में भारत की विकास दर पिछले तीस साल में सबसे निचले स्तर पर पँहुच जायेगी।
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दुनिया की मशहूर रेटिंग एजेंसी फ़िच ने लिखा है कि भारत की विकास दर यानी जीडीपी आर्थिक वर्ष 2020-21 में 2% ही रह जायेगी। ग़ौर करने वाली बात यह है कि 15 दिन पहले ही फ़िच का आकलन था कि इस साल भारत की विकास दर 5.1% होगी।
भारत के लिये फ़िच की रिपोर्ट ज्यादा चिंताजनक है। फ़िच के पहले एस एंड पी ने कहा था कि भारत की विकास दर 3.5% तक गिर सकती है। इसी तरह मूडीज ने भी 2.5% का आँकड़ा बताया था। फ़िच का आँकड़ा इन दोनों से ही कम है।
अगर ऐसा हुआ तो 1991 के बाद यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे ख़राब प्रदर्शन होगा। उस साल भारत की आर्थिक स्थिति इतनी बुरी हो गयी थी कि उसे अपना क़र्ज़ चुकाने के लिये सोना गिरवी रखना पड़ा था। और बाद में आर्थिक सुधार का दौर शुरू किया था। यह ज़िम्मेदारी मनमोहन सिंह को दी गयी थी। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया था।
फ़िच ने सिर्फ भारत की ही अर्थव्यवस्था में गिरावट की बात नहीं की है। उसके अनुसार पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तहस नहस होने के कगार पर है।
शुक्रवार को जारी फिच की रिपोर्ट कहती है वैश्विक विकास दर में गिरावट का सबसे बड़ा कारण है कोरोना महामारी और पूरी दुनिया के बड़े हिस्से में लागू लाकडाउन।
उनके मुताबिक़ पूरी दुनिया की विकास दर में कम से कम 1.9% की गिरावट देखने को मिलेगी। अमेरिका की जीडीपी में 3.3%, यूरोप की 4.2%, और ब्रिटेन की 3.9% की कमी आयेगी। चीन की अर्थव्यवस्था में भी 2% की गिरावट देखी जायेगी। हालाँकि चीन ने दावा किया है कि उसने कोरोना महामारी पर नियंत्रण पा लिया है।
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