महाराष्ट्र में शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए अड़ गई है। राजनीतिक हालात यह हैं कि या तो बीजेपी मुख्यमंत्री पद के मसले पर शिवसेना के सामने झुकेगी या फिर शिवसेना अपने बल पर सरकार बनाने की कोशिश करेगी।
दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों और 17 राज्यों के उपचुनावों में मतदाता ने एक हद तक अपनी अरुचि दिखाई है। ग्रामीण और शहरी मतदाता की रुचि में विभाजन दिख रहा है और सत्तारुढ़ दल के लिए मौसम वैसा अनुकूल नहीं है जैसा मई में था।
किसी भी राज्य में चुनाव के दौरान स्थानीय समस्याओं और मुद्दे से दूर हटाकर चुनाव प्रचार को राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों या राष्ट्रवाद से जोड़ने का जो 'मोदी मॉडल' है वह चला ही नहीं।
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि देश की जनता का जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर क्या रुख है।
तमाम एग्ज़िट पोल में महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में बीजेपी क्यों जीतती दिख रही है और विपक्ष कहीं नज़र नहीं आ रहा है? मोदी और अमित शाह के नेतृत्व की क्या वह रणनीति और कहाँ पिछड़ रहा है कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष? देखिए आशुतोष की बात में क्या हैं एग्ज़िट पोल के मायने?
अलग-अलग मीडिया घरानों की ओर से कराए गए एग्ज़िट पोल पर भरोसा किया जाए तो महाराष्ट्र और हरियाणा, दोनों ही राज्यों के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी बढ़त साफ़ दिख रही है।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों और हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के साथ ही 18 राज्यों में विधानसभा की 51 सीटों और लोकसभा की 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों का भी इंतजार है।
टाइम्स नाउ की ओर से कराए गए एग्ज़िट पोल पर भरोसा करें तो इस विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना को 230 सीटें मिल सकती हैं। राज्य विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं।
शिवसेना ने कहा है कि जब बीजेपी के मुताबिक़, महाराष्ट्र में उन्हें विपक्ष की ओर से कोई चुनौती नहीं मिल रही है तो फिर मोदी, शाह की इतनी रैलियां क्यों कराई गयीं।