दिल्ली में लॉकडाउन का ऐलान होने के बाद बड़ी तादाद में लोग राजधानी छोड़ कर अपने-अपने गृह नगर लौटने लगे हैं। राजधानी से सटे आनंद विहार, कौशांबी, ग़ाज़ियाबाद और दूसरी जगहों पर भारी तादाद में लोग उमड़ रहे हैं।
विदेशों में नौकरी करने वाले लोगों के कारण आस-पास के इलाक़ों में तरक्क़ीयाफ्ता और खुशहाल समझे जाने वाले बिहार के कई गाँव आजकल भीषण बेरोज़गारी की गिरफ़्त में हैं।
नाम है मुजीबुल्लाह रहमान। उम्र 80 साल। काम करते हैं कुली का। अब सोशल मीडिया पर हीरो बनकर उभरे हैं क्योंकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले थके-हारे लोगों का वह मुफ़्त में सामान ढोते हैं।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अपने घरों को लौट रहे प्रवासियों की मौत होना छोटी और अलग घटना है और रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। घोष के इस बयान पर विरोधी दलों के नेताओं ने कड़ी टिप्पणी की है। Satya Hindi
प्रवासी मज़दूरों के घर लौटने के मुद्दे पर एक बेहद अहम फ़ैसले में गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि या तो राज्य सरकारें उनका भाड़ा चुकाएँ या रेलवे उनका भाड़ा माफ़ करे।
लॉकडाउन ने पुलिसिया अत्याचारों, नाजायज गिरफ्तारियों, भुखमरी, हादसों और आत्महत्याओं के नए रास्ते खोले हैं और केंद्र और राज्य सरकार अवाम की असली दिक्कतों की तरफ पीठ किए हुए है।Satya Hindi
The Vijai Trivedi Show: क्यों बिना सोच समझकर किया गया लॉकडाउन? लॉकडाउन में दुनिया की नकल करना भारत जैसे ग़रीब देश के लिए कितना सही? और क्या अब मज़दूरों के लिए सरकार के पास कोई योजना है या फिर जुगाड़ से ही काम चलाएगी सरकार? इन सभी मुद्दों पर विशेष चर्चा वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ।Satya Hindi
अब तक कम कोरोना मामले वाले बिहार में संक्रमित लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों में से 26 प्रतिशत में संक्रमण पाया जा रहा है।