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श्रमिक स्पेशल का नया नियम, राज्यों की अनुमति ज़रूरी नहीं, क्या बढ़ेगी तकरार?

भारतीय रेल ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने के बारे में एक अहम फ़ैसला लिया है, जिससे राज्यों के साथ उसकी ठन सकती है। रेलवे ने कहा है कि अब श्रमिक स्पेशल चलाने से पहले उन राज्यों की अनुमति ज़रूरी नहीं होगी, जिन राज्यों को यह ट्रेन जा रही होगी। अब तक रेलवे उन राज्यों से पहले पूछ लेता था। अब ऐसा करना ज़रूरी नहीं होगा। 

राज्यों से केंद्र की ठनेगी?

इस मुद्दे पर कुछ राज्यों और केंद्र सरकार के बीच पहले कई बार ठन चुकी है। गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया था कि वह श्रमिक स्पेशल को अपने राज्य में घुसने नहीं दे रही हैं। ऐसा कर वह राज्य के प्रवासी मज़दूरों के साथ अन्याय कर रही हैं। 
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ममता बनर्जी ने इसे झूठ क़रार देते हुए गृह मंत्री को चुनौती दी थी कि वह इसे साबित करें या माफ़ी माँगे। 
अब ममता बनर्जी ने कहा है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन गुरुवार को पश्चिम बंगाल न पहुँचे क्योंकि वहां चक्रवाती तूफान अम्फान के उसी दिन पहुँचने की आशंका है। ऐसा होने से वह ट्रेन से पहुँचे लोगों पर ध्यान नहीं दे पाएंगी।

बिहार ने किया था विरोध

इसके पहले बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह राज्य भेजने के प्रस्ताव का ज़ोरदार विरोध किया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस पहल का विरोध किया था जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रवासी मज़दूरों को दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़े से निकालने के लिए बस भेजी गई थी।

अब बिहार से ख़बर आ रही है कि वहाँ लौट रहे प्रवासी मज़दूरों में से जिनकी कोरोना जाँच हुई है, उनमें से 25 प्रतिशत से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं।

गोवा

बीते दिनों गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ज़ोर देकर कहा था कि कोई भी ट्रेन उनके राज्य में न रुके। बता दें कि गोवा को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया गया था। 
लेकिन देश के कई शहरों में हज़ारों की तादाद में लोग अपने-अपने घरों से निकल कर पास के रेलवे स्टेशन पर पहुँच रहे हैं। 
मंगलवार दोपहर को मुंबई के नज़दीक बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों का हुजूम उमड़ पड़ा। ये सभी प्रवासी मजदूर बिहार जाने वाली स्पेशल श्रमिक ट्रेन में चढ़ने के लिए आए थे। ट्रेन बांद्रा रेलवे टर्मिनल से पूर्णिया के लिए जानी थी। 

इसी तरह सोमवार को घर लौटने वाले प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद में इकट्ठा हो गए थे। ये प्रवासी मजदूर भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में चढ़ने के लिए आए थे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग तार-तार हो गई थी। ऐसे में ख़तरा इस बात का है कि कहीं कोई एक व्यक्ति अगर संक्रमित हुआ तो वह कई और लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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