बिहार चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी ने पाँच सीटें क्या जीतीं, वे तमाम दलों के निशाने पर आ गए। अभी तक उन्हें बीजेपी का एजेंट भर कहा जाता था, मगर अब वे जिन्ना से लेकर गली के गुंडे तक जाने क्या-क्या कहे जाने लगे हैं। वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट-
Suniye Sach। शाह की तमिलनाडु यात्रा का सोशल मीडिया पर विरोध क्यों? कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव पर क्यों मचा है बवाल? कामरा क्यों जानबूझकर फंस रहे हैं? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण.
Suniye Sach। चीन की हरकतें बढ़ रहीं, मोदी कब तक रहेंगे चुप? सेना ने कैसे मीडिया की ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ की हवा निकाली? सभी पत्रकारों के लिए क़ानून एक जैसा नहीं है? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ। Satya Hindi
कई प्रदेश लव जिहाद कानून बनाने जा रहे हैं, मगर नारीवादी कार्यकर्ता और सीपीआईएमएल के पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन का कहना है कि ये स्त्रियों की आज़ादी पर हमला है।
हालाँकि लव जिहाद के सबसे बड़े झंडाबरदार योगी आदित्यनाथ रहे हैं, मगर अब दूसरे बीजेपी शासित राज्य भी इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठा रहे हैं। उन्होंने इसे रोकने के लिए कानून बनाने की भी घोषणा कर दी है। पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
शिरीष कुमार मौर्य का नया कविता संग्रह रितुरैण इस विश्वास को और भी पुख़्ता करता है कि एक कवि के रूप में उनकी यात्रा नए मार्गों का अन्वेषण करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही है।
बिहार चुनाव में घटिया प्रदर्शन ने काँग्रेस नेतृत्व को एक बार फिर से निशाने पर ला दिया है। काँग्रेस के अंदर और बाहर दोनों ओर से उस पर हमले हो रहे हैं, लेकिन वह चुप है। क्या है इस चुप्पी की वज़ह? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट।
Suniye Sach। क्या कुणाल कामरा ने कुछ भी ग़लत नहीं बोला? भारत क्या दो मोहरों पर लड़ने के लिए तैयार है? राम माधव को क्यों किया जा रहा है बीजेपी में दरकिनार? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का धारदार विश्लेषण। Satya Hindi
Suniye Sach। क्या ‘व्यक्तिगत आज़ादी’ सिर्फ़ अर्णब के लिए है? बिहार में बीजेपी बन गई है बड़ा भाई क्या करेंगे नीतीश? क्या राहुल गाँधी में पार्टी चलाने की योग्यता है? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि बीजेपी तीन बार से सत्ता में रहने के बावजूद ज़्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही। यह कितना सच है?
आपने अकसर चैनल मालिकों और संपादकों को यह कहते हुए सुना होगा कि रिमोट तो दर्शकों के हाथ में है, पसंद उनकी है, वे चाहें तो कोई चैनल देखें या न देखें। लेकिन क्या यह इतनी सीधी सी बात है? क्या यह सचमुच में दर्शकों के हाथ में है?