ऊपर से देखने से लगता है कि टीआरपी के खेल ने न्यूज़ चैनलों को अराजक और ग़ैर-ज़िम्मेदार बना दिया है। मगर सचाई यह है कि इसमें सरकारों का भी बहुत बड़ा हाथ है। केबल टीवी अधिनियम को ठीक से लागू कराया जाता तो ऐसे हालात नहीं होते।
Suniye Sach। ट्रंप नहीं जीते तो होगा बवाल ? अर्णब की गिरफ़्तारी और प्रेस की आज़ादी में क्या है कोई संपर्क? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ। Satya Hindi
Suniye Sach। बिहार चुनाव में दूसरे चरण के मतदान से क्या मिले संकेत? पेरिस के बाद वियना में आतंकी हमले के मायने? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ.
न्यूज़ चैनलों की ओर से एनबीए अक्सर तर्क देता है कि उसके द्वारा बनाया गया आत्म-नियमन का तंत्र अच्छे से काम कर रहा है। लेकिन क्या सच में ऐसा है यह एक छलावा है? यह छलावा नहीं है तो फिर टीआरपी स्कैम कैसे हो गया?
Suniye Sach। फ्रांस हिंसा की निंदा क्यों नहीं कर रहे मुसलिम संगठन? बिहार में दूसरे चरण में किसका पलड़ा भारी? देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का खास विश्लेषण
न्यूज़ चैनलों द्वारा टीआरपी हासिल करने के लिए घटिया हथकंडे आज़माने और कंटेंट के स्तर को गिराने के संबंध में अक्सर यह दलील दी जाती है कि बेचारे चैनल भी क्या करें, उन्हें भी तो खाना-कमाना है। तो क्या उनका बिजनेस मॉडल घटिया है?
टीआरपी स्कैम के बाद न्यूज़ चैनलों की रेटिंग देने वाली एजेंसी बार्क इस समय निशाने पर है। इससे पहले टैम इंडिया रेटिंग देती थी और वह भी ऐसी ही खामियों के लिए निशाने पर आई थी। लेकिन इसके बाद से क्या कुछ बदला है?
मुंबई टीआरपी घोटाले के बाद जब बार्क ने एलान किया कि वह अगले दो से तीन महीने तक न्यूज़ चैनलों की टीआरपी नहीं देगा तो पत्रकारों ने राहत की साँस ली होगी। लेकिन क्या इससे न्यूज़ चैनलों का कंटेंट सुधर जाएगा?
Suniye Sach । फ्रांस के ख़िलाफ़ भारत में भी भड़का गुस्सा, कई शहरों में प्रदर्शन। यूरोपीय देश फ्रांस के साथ तो मुस्लिम मुल्कों में उग्र प्रतिक्रियाएं जारी
न्यूज़ चैनलों के पतन में केवल टीआरपी ही ज़िम्मेदार नहीं थी या है। टीआरपी की भूमिका बहुत सीमित सी है। टीआरपी बाज़ार का एक प्रभावी अस्त्र ज़रूर है, मगर बाज़ार के पीछे खड़ी पूँजी के उद्देश्य बड़े और विविधतापूर्ण हैं।
फ्रांस के ख़िलाफ़ इस्लामी दुनिया में ज़बर्दस्त गुस्सा देखा जा रहा है, मगर फ्रांस अडिग है, आख़िर क्यों उसके लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतना महत्व क्यों रखती है पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की फ्रांस की पत्रकार एवं फिल्मकार निहारिका से इस मुद्दे पर बातचीत