प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आख़िरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव को रामघाट पर पहुँचा दिया। मतदान से महज़ तीन दिन पहले प्रधानमंत्री ने अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने की घोषणा कर दी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद पवन वर्मा के बाद पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को भी खुली चेतावनी दे डाली।
दिल्ली के कोर्ट ने क्यों पूछा कि क्या जामा मसजिद पाकिस्तान में है? क्या लोगों के प्रदर्शन का अधिकार नहीं है। नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ दिल्ली के जामा मसजिद के बाहर प्रदर्शन को लेकर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद की गिरफ़्तारी के मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने भी सवाल किया कि क्या धरना देना गुनाह है? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
बीजेपी तीन तलाक़, अनुच्छेद 370, अयोध्या मामला, एनआरसी और नागरिकता क़ानून जैसे मुद्दे को ज़ोर-शोर से क्यों उठाती रही है? क्या ये सभी सत्ताधारी बीजेपी के हिंदू एजेंडे का हिस्सा नहीं हैं?
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने में इतनी जल्दी क्यों? 24 अक्टूबर को नतीजे। 8 नवंबर तक गवर्नर चुप बैठे रहे। पर शिवसेना को 48 घंटे भी देने को तैयार नहीं। क्या राज्यपाल ने निष्पक्ष भूमिका निभाई? या वह केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहे थे? देखिए सत्य हिंदी पर वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी सिंह की चर्चा।
बीजेपी का एक खेमा जिस तरह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ख़िलाफ़ आक्रामक तेवर अपना रहा है? महागठबंधन में भी ऐसी ही स्थिति है। तो आख़िर चल क्या रहा है बिहार की राजनीति में?
गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद हिंदी को लेकर बड़ा विवाद शुरू हो गया है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात करके कहीं संघ के पुराने एजेंडे हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान को लागू करने की कोशिश तो नहीं की जा रही है।
यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता से भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक, सांस्कृतिक और नस्लीय समस्याएँ ख़त्म होंगी या नहीं, यह बताना अभी मुश्किल है। लेकिन इतना ज़रूर है कि इस पर राजनीति शुरू होगी।
क्या आरक्षण पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस की नीति बदल रही है? संघ के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले का ताज़ा बयान आरक्षण पर संघ के पुराने रुख में बदलाव का संकेत देता है।
लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में 12 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। इस मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी. सिंह का विश्लेषण।
कांग्रेस ने साफ़ कर दिया है कि राहुला गाँधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष बने रहेंगे। तो राहुल बिन क्यों नहीं चलती कांग्रेस? देखिए वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का विश्लेषण।
केंद्र सरकार की सभी आठ समितियों में अमित शाह शामिल हैं, लेकिन राजनाथ सिंह को मात्र दो समितियों में स्थान मिल पाया है। तो क्या राजनाथ सिंह पर भारी नहीं पड़ रहे हैं अमित शाह? देखें वरिष्ठ पत्रकार शैलेश का विश्लेषण।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में नंबर 2 कौन है? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह या फिर गृह मंत्री अमित शाह? तसवीर अब साफ़ होने लगी है। यदि कैबिनेट समितियों को आधार मानें तो क्या अमित शाह भारी नहीं पड़ रहे हैं राजनाथ सिंह पर?