पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले की जाँच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस पर फ़ैसला देगी।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के दो लोगों, कई वरिष्ठ वकीलों के मुवक्क़िलों के फ़ोन नंबर के अलावा एक जज का पुराना फोन नंबर भी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस में पाया गया है।
पेगासस मामले में जाँच की मांग के लिए एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में विशेष जाँच दल यानी एसआईटी से इसकी जाँच कराने की मांग की गई है।
इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले की जाँच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार यानी पाँच अगस्त को सुनवाई होगी। दो जजों की बेंच इन याचिकाओं पर फ़ैसला देगी।
राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की गई है।
इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के लिए देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों सहित 500 लोगों ने मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को खुला ख़त लिखा है।
पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले की जाँच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ़्ते सुनवाई हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए आग्रह किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तोड़फोड़ और संपत्ति को नुक़सान पहुँचाना सदन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है और इसलिए सीपीआईएम के छह सदस्यों के ख़िलाफ़ चल रहा मुक़दमा वापस नहीं लिया जा सकता है।
पेगासस स्पाइवेयर मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा या सेवानिवृत्त जज से कराए जाने की मांग को लेकर वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
पेगासस मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने को लेकर सीपीएम के एक सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले एक वकील ने भी अदालत में याचिका दायर कर इसकी मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में दो न्याय व्यवस्था नहीं हो सकती है। इसने गुरुवार को कहा है कि जो अमीर हैं, जिनके पास राजनीतिक सत्ता है और जिनकी न्याय व्यवस्था तक पहुँच नहीं है उनके लिए अलग व्यवस्था नहीं हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के उस फ़ैसले पर मुहर लगा दी है जिसमें सहकारिता से जुड़े 97वें संविधान संशोधन क़ानून को रद्द कर दिया गया था। इसके साथ ही केंद्र में अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने पर सवालिया निशान लग गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दो महिला पत्रकारों-पेट्रीसिया मुखिम और अनुराधा भसीन ने राजद्रोह क़ानून के ख़िलाफ़ याचिक दायर कर कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की पूर्ण प्राप्ति को बाधित करता है।