कोरोना वायरस संक्रमण का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है। संक्रमण रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से 12 करोड़ से ज़्यादा लोगों की रोज़ी-रोटी छिन गई है।Satya Hindi
लॉकडाउन के बाद बेरोज़गारी दर भयावह बढ़ गई है। लॉकडाउन से पहले 15 मार्च वाले सप्ताह में जहाँ बेरोज़गारी दर 6.74 फ़ीसदी थी वह तीन मई को ख़त्म हुए सप्ताह में बढ़कर 27.11 फ़ीसदी हो गई है।
लॉकडाउन: 30 मार्च से 5 अप्रैल के दौरान यानी छह दिन में बेरोज़गारी दर बढ़कर 23.4 प्रतिशत हो गई है। जबकि पूरे मार्च महीने में यह दर 8.7 फ़ीसदी थी। मार्च का यह आँकड़ा 43 महीनों में सबसे ज़्यादा था। Satya Hindi
विश्व बैंक, आईएमएफ़, एशियन डेवलपमेंट बैंक समेत तमाम एजेन्सियों का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का बेहद बुरा असर होगा। क्या होगा? क्या करोड़ों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों, दिहाड़ी मज़दूरों और शहरी तथा ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले ग़रीबों के लिए एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ के पैकेज की घोषणा की है।
दिसंबर में बेरोज़गारी की दर में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई, पर शहरी बेरोज़गारी की दर बढ़ कर 9.7 प्रतिशत हो गई। सेंटर फ़ॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने यह जानकारी दी है।
देश में जारी आर्थिक सुस्ती के बीच रोज़गार की हालत भी बदतर हो रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह साल के दौरान 90 लाख नौकरियाँ घट गई हैं। जो आज़ाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट है।
सरकार अब बेरोज़गारों को ग़िनना नहीं चाहती। उसकी ‘मुद्रा योजना’ और ‘स्किल इंडिया’ ने दम तोड़ दिया है। अर्थव्यवस्था की हालत पतली है तो सरकार मीडिया के भरोसे है जिसके लिए बेरोज़गार ख़बर ही नहीं है।
केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का कहना है कि बेरोज़गारी को लेकर आए आंकड़े पूरी तरह ग़लत हैं और किसी की भी नौकरी नहीं गई है।सत्य समाचार
देश के आर्थिक स्वास्थ्य की स्थिति बताने वाले हर इंडिकेटर्स नीचे की ओर जा रहे हैं। बेरोज़गारी रिकॉर्ड स्तर पर है। लोगों के पास ख़रीदने की क्षमता कम हो गई है। ऐसे में अर्थव्यवस्था कैसे संभलेगी? सत्य हिंदी के लिए देखिए आशुतोष की बात।