पिछले काफ़ी महीनों से लगातार ख़बरें आ रही हैं कि आर्थिक मोर्चे पर देश के हालात ख़राब हैं, नौकरियां जा रही हैं, उत्पादन गिर रहा है और इस वजह से ऑटोमोबाइल सेक्टर की कई कंपनियों को महीने में कई-कई दिन तक अपना काम बंद रखने को मजबूर होना पड़ा है। यह भी ख़बरें आईं कि बेरोज़गारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज़्यादा हो चुकी है, गुजरात के हीरा उद्योग में काम करने वाले हज़ारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इसके अलावा जीडीपी का 5 फ़ीसदी पर आ जाना, सेंसेक्स का गिरना, माँग कम होने जैसे कई ख़बरों ने यह बताया कि अर्थव्यवस्था की स्थिति डांवाडोल है लेकिन केंद्र की सरकार इसे मानने से हिचकती रही।
केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने तो यहां तक कह दिया कि बेरोज़गारी को लेकर आए आंकड़े पूरी तरह ग़लत हैं और किसी की भी नौकरी नहीं गई है। लेकिन अब एक ऐसी हृदय विदारक घटना सामने आई है, शायद जिसके बाद सरकार को यह मानना पड़े कि हां देश में नौकरियां गई हैं और बेरोज़गारी की स्थिति ऐसी है कि लोगों को पत्नी, बच्चों सहित जहर खाकर जान देने को मजबूर होना पड़ रहा है।
ऐसी घटना सामने आई है मध्य प्रदेश के इंदौर से। ख़बर को पढ़ने से पहले आपको कलेजा मजबूत कर लेना होगा। समाचार पत्र दैनिक भास्कर में छपी ख़बर के मुताबिक़, सॉफ़्टवेयर इंजीनियर अभिषेक सक्सेना ने इंदौर के क्रिसेंट वॉटर पार्क में पत्नी व दो बच्चों के साथ ख़ुदक़ुशी कर ली। इस मामले में जानकारी मिली है कि अभिषेक की नौकरी चली गई थी। अभिषेक 18 लाख रुपये सालाना पैकेज की नौकरी पर थे। नौकरी जाने के बाद ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग में उन्हें बहुत ज़्यादा घाटा हो गया था और इस वजह से वह बेहद परेशान चल रहे थे।
ख़बर के मुताबिक़, हालात इस कदर ख़राब हो गए कि ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग में अभिषेक ने अपनी सारी जमापूंजी गंवा दी और यहाँ तक कि उनके डेबिट, क्रेडिट कार्ड भी डिएक्टिव हो गए। अभिषेक की पत्नी प्रीति भी ऑनलाइन कारोबार से 30-40 हजार रुपये महीना कमा लेती थी लेकिन कुछ समय से उसका काम भी ठीक नहीं चल रहा था।
अब समझिए कि नौकरी जाने, काम में घाटा होने का तनाव किस कदर बढ़ गया होगा कि उन्होंने जान देने की ठान ली। ख़बर कहती है कि पति-पत्नी ने आत्महत्या करने से दो दिन पहले ही ऑनलाइन ऑर्डर कर जहर मंगवाया था।
ख़बर कहती है कि अभिषेक के ससुर आर्थिक रूप से सक्षम थे और वह मदद कर सकते थे लेकिन अभिषेक और प्रीति ने उन्हें कभी अपनी ख़राब आर्थिक स्थिति के बारे में नहीं बताया। फ़ाइनली, दोनों ने फ़ैसला किया होगा कि वह बच्चों को किसी के भरोसे नहीं छोड़ेंगे और बच्चों को क्रिसेंट पार्क में पिकनिक मनाने की बात कहकर वे घर से गए और फिर कभी लौटकर नहीं आए।
मामले की जाँच के दौरान पुलिस को अभिषेक के कमरे से मिले लैपटॉप में एक दर्जन से ज़्यादा ई-मेल मिले हैं। इसमें नौकरी जाने और नई नौकरी तलाशने के लिए कई लोगों को की गई ई-मेल शामिल हैं।
निश्चित रूप से यह ख़बर बेहद झकझोरने वाली है कि 18 लाख रुपये सालाना यानी डेढ़ लाख रुपये महीने कमाने वाले शख़्स की नौकरी जाने के बाद उसके लिए हालात इस क़दर ख़राब हो गए कि उसे पूरे परिवार को ख़त्म करने का फ़ैसला लेना पड़ा। और ऐसा नहीं है कि ऐसी घटना पहली बार हुई है, कई बार ऐसी ख़बरें आती हैं कि बेरोज़गारी से या काम न मिलने के कारण युवाओं ने आत्महत्या कर ली या कारोबारियों ने जीवन ख़त्म कर लिया।
लेकिन क्या देश की सरकारें, हमारे हुक्मरान इस ख़बर को पढ़ने के बाद मानेंगे कि हां देश में बेरोज़गारी है, हां देश के आर्थिक हालात ख़राब हैं और हां लोगों को इस वजह से परेशान होकर अपनी जान भी देनी पड़ रही है।
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