एक दिलचस्प घटनाक्रम में रूस और चीन ने उस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव से दूरी बना ली, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण मान लिया गया है। क्या है मामला?
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान में 'तालिबान' शब्द हटा दिया है। इससे संयुक्त राष्ट्र और भारत के रवैए में बदलाव का संकेत मिल रहा है।
भारत ने अगस्त महीने के अध्यक्ष होने के नाते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान पर हुई आपातकालीन बैठक बुलाई, लेकिन उसमें पाकिस्तान को नहीं न्योता। इसलामाबाद ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने पर ज़ोर देते हुए इसके स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर ज़ोर दिया ताकि यह अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व कर सके और ज़्यादा समावेशी हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जमाना काफी आगे निकल चुका है लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ 75 साल पहले जहां खड़ा था, वहीं खड़ा है।
सुरक्षा परिषद में भारत आठ साल बाद फिर आठवीं बार पहुँचा है। सुरक्षा परिषद का सदस्य चुने जाने के बाद 21वीं सदी की दुनिया को भारत चाहे तो नई दिशा दिखाने की कोशिश कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को दो साल के लिए अस्थायी सदस्य चुन लिया गया। 193 सदस्यों वाली महासभा में भारत को 184 वोट मिले। यह आठवीं बार है जब भारत इस संगठन का सदस्य चुना गया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है। इससे पहले चीन के लगातार विरोध के कारण मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सका था।
चीन अज़हर मसूद को लंबे समय से बचाता आया है। भारत उसे ऐसा करने में नाकाम रहा है। लेकिन भारत इसकी वजह नहीं समझ रहा है, लिहाज़ा, उसे रोकने की कोशिश में नाकाम रहा है।