संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है। चीन ने इस संबंध में अपनी आपत्ति वापस ले ली है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले चीन के लगातार विरोध के कारण मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सका था। मसूद अज़हर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का सरगना है।
Big,small, all join together.
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) May 1, 2019
Masood Azhar designated as a terrorist in @UN Sanctions list
Grateful to all for their support. 🙏🏽#Zerotolerance4Terrorism
चीन का तकनीकी रोड़ा हटते ही मसूद अज़हर को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया। आंतक के आका मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के मौजूदा प्रस्तावक भले ही अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन हों लेकिन इसे भारत के कूटनीतिक प्रयासों की बड़ी जीत माना जा रहा है।
मसूद अज़हर पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड है और फ़िलहाल पाकिस्तान में है। पुलवामा हमले में भारत के 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस हमले की कड़ी निंदा की थी।
चीन ने कई बार किया था विरोध
बता दें कि इस साल मार्च में चीन ने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों में अड़ंगा लगा दिया था। तब चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव का तकनीकी आधार पर विरोध किया था। यह चौथा मौक़ा था, जब चीन ने किसी न किसी बहाने अज़हर मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं होने दिया था।
चीन तर्क देता रहा था कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। दूसरी ओर, अमेरिका ने कहा था कि मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। पिछली बार चीन ने यह बहाना बनाया था कि मसूद अज़हर पर कोई अंतिम फ़ैसला करने से पहले वह तमाम कागजातों का अध्ययन करना चाहता है।
1994 में मसूद अज़हर को श्रीनगर से गिरफ़्तार किया गया था। लेकिन 1999 में आतंकवादियों ने भारतीय विमान आईसी- 814 का अपहरण कर लिया था और वे विमान को कंधार ले गए थे। यात्रियों की सलामती के बदले में भारत को तीन आतंकवादियों मौलाना मसूद अज़हर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को छोड़ना पड़ा था।
भारत से रिहा होने के बाद मसूद अज़हर ने जैश-ए-मुहम्मद का गठन किया। इस आतंकवादी संगठन ने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है। 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले में भी जैश का हाथ था।
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