भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने पर ज़ोर देते हुए इसके स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर ज़ोर दिया ताकि यह अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व कर सके और ज़्यादा समावेशी हो सके।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की सालाना बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस संगठन में निर्णय लेने की प्रक्रिया के विस्तार की ज़रूरत है।
कब तक करें इंतजार?
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपनी बात रखते हुए उन्होंने सवाल किया, 'हम कब तक इंतजार करते रहेंगे? हम कब तक हमें संयुक्त राष्ट्र की निर्णय प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा?'मोदी ने कुछ तल्ख लहजे में कहा, 'एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहाँ विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहाँ सैकड़ों भाषाएँ हैं, सैकड़ों बोलियाँ हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएँ हैं, जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की ग़ुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आख़िर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?'
उन्होंने भारत की भूमिका और विश्व शांति में इसकी देन की याद दिलाते हुए कहा,
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'हम जब कमज़ोर थे, हमने दुनिया को तंग नहीं किया। हम जब मजबूत बन गए हैं, हम दुनिया पर बोझ नहीं हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में अपने सैनिकों को भेजा है और सबसे ज़्यादा सैनिक खोए हैं।'
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारत का पक्ष रखते हुए मोदी ने यह भी याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र और भारत के मुख्य सिद्धांत एक समान हैं। इन्होंने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र के हॉल में वसुधैव कुटुम्बकम की गूंज कई बार सुनी गई है। भारत ने हमेशा ही पूरी दुनिया के कल्याण की बात सोची है।'
'किसी के ख़िलाफ़ नहीं'
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र को याद दिलाया कि 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति हमारे विचार में भी हमारे इसी दर्शन की सोच दिखाई देती है।'
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बग़ैर ही कहा कि 'भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह दोस्ती किसी तीसरे देश के ख़िलाफ़ नहीं होती है। इसी तरह भारत जब किसी के साथ विकास की साझेदारी करता है तो उससे किसी साथी देश को पीछे करने की होड़ नहीं होती है।'
कोरोना वैक्सीन
कोरोना महामारी का हल निकालने की भारत की कोशिशों की चर्चा करते हुए नरेंद्र मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत की वैक्सीन विकसित करने की क्षमता पूरी दुनिया को इस संकट से बाहर निकालेगी।प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में विश्व समुदाय की भूमिका पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहाँ है? एक प्रभावशाली रिस्पान्स कहाँ है?'
उन्होंने विश्व समुदाय को भरोसा दिलाया कि भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत हमेशा हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता रहेगा।
अगले साल जनवरी में भारत सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बन जाएगा। मोदी ने कहा कि भारत अपना दायित्व निभाएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों ने भारत पर जो विश्वास जताया है, वह उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हैं।
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