फ्रांस में कुछ दिन पहले एक अध्यापक की सर काट कर की गई हत्या ने फ्रांस को ही नहीं, पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कितना ही गंभीर धार्मिक अपमान या ईशनिंदा क्यों न हो, क्या हिंसा किसी भी तरह जायज़ ठहराई जा सकती है?
आज यानी 23 मार्च को भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया गया था। भगत सिंह भगत सिंह कैसे बने? किताबों ने। किताबों से उनका गहरा लगाव था। भगत सिंह के मित्रों में से एक शिव वर्मा ने लिखा है कि भगत सिंह हमेशा एक छोटा पुस्तकालय लिए चलते थे।
सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने प्रशांत भूषण को बताया है कि अपनी ग़लती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इस प्रसंग में, जैसा भारत में हर प्रसंग में करने का रिवाज है, न्यायमूर्ति ने महात्मा गाँधी का सहारा लिया।
जैन धर्म का मानव संस्कृति को योगदान ही माना जाएगा कि उसने क्षमायाचना को एक सामुदायिक या सार्वजनिक भाव के रूप में प्रतिष्ठित किया। पढ़ें अपूर्वानंद का लेख।
क्या हमें मान लेना चाहिए कि 2020 का 5 अगस्त भारतीय गणतंत्र के पहले संस्करण का अवसान और दूसरे संस्करण का जन्म दिवस है? क्या इसकी चमक दमक 15 अगस्त की आभा को धूमिल कर देगी?
उमर अब्दुल्ला नाराज़ हैं। भारत के विपक्ष से, संसद से और अपने आप से। अपने साथ किए गए धोखे से वह नाराज़ हैं। वह क्षुब्ध हैं कि जम्मू और कश्मीर की रही-सही स्वायत्तता का अपहरण कर लिया गया और उसके दो टुकड़े कर दिए गए।
शायद अब वक़्त आ गया है कि इसे किसी एक ख़ास मुल्क या मज़हब या समुदाय को लगनेवाली बीमारी न मानकर वैसे ही महामारी माना जाए जैसे हम कोरोना वायरस के संक्रमण को मानते हैं।
तो क्या अब दुनिया भर के मुसलमानों के लिए यह जश्न का मौक़ा है? यह कि हागिया सोफ़िया या हाया सोफ़िया अब फिर से मसजिद है? वह जो कल तक संग्रहालय थी? उसके पहले मसजिद? और उसके भी पहले एक गिरजाघर?
आज जो चीन के सम्पूर्ण बहिष्कार का नारा दे रहे हैं, वे कल तक अफ़सोस कर रहे थे कि चीन ने विकास की जो ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं, हम उनके क़रीब भी क्यों नहीं पहुँच पाए हैं।
राजनीति में झूठ बोलना क्या एक नये दौर में पहुँच गया है। अमेरिका में तो मीडिया ने ट्रम्प के झूठ की लंबी फेहरिस्त तक छापी है। इस पर शोध हुए हैं कि उनके लगातार झूठ और ग़लत तथ्यों की जानकारी देने की ख़बरें छपने के बावजूद जनता और झूठ क्यों माँगती है।
सीमा भारत और पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश या म्यांमार के बीच नहीं रह गई है, अब बिहार और उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात, असम और मेघालय या कर्नाटक और केरल के बीच खिंच गई है।
प्राथमिक भाव भय का था। फिर घृणा। और तब स्वाभाविक क्रम में हिंसा। यह कैसे हुआ जबकि घोषणा युद्ध की की गई थी प्रत्येक देशवासी को योद्धा की पदवी प्रदान की गई थी? तो योद्धा कौन था और वीरता को कहाँ देखा हमने?
प्रेस स्वतंत्रता दिवस गुज़र गया। भारत के सूचना विभाग के मंत्री ने इस मौक़े पर दिए गए रस्मी बयान में दावा किया कि भारत में प्रेस को पूरी आज़ादी है। इस बयान को किसी ने नोटिस लेने लायक़ नहीं समझा। क्यों?