पिछले कई दिनों से तब्लीग़ी जमात और दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित उसका मरकज़ तमाम मीडिया चैनलों और अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बना हुआ है। ऐसे में सवाल यह है कि तब्लीग़ी जमात क्या है?
आज भी जब कभी मुग़ल काल के बादशाहों का ज़िक्र होता है तो औरंगज़ेब और दारा शिकोह बरबस ही आमने-सामने खड़े होते दिखते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जिसमें भाई भाई का न हुआ, बेटा बाप का न हुआ और बाप बेटों का नहीं हुआ।
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद ने राजनीति में क़दम रख रख दिया है और अपनी नई पार्टी का एलान कर दिया है। चंद्रशेखर ने उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोक दिया है। क्या वह मायावती का विकल्प बन पाएँगे?
दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून, एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ लगातार चल रहे धरना-प्रदर्शन को तीन महीने पूरे हो चुके हैं। इस दौरान इस प्रदर्शन ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।
केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का एलान कर दिया है। साथ ही सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को मसजिद बनाने के लिए पाँच एकड़ ज़मीन भी दे दी गई है।
देश में लोकतंत्र की नींव रखने वाले और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के सबसे बड़े पैरोकार भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की तसवीर शाहीन बाग़ से ग़ायब है।
अगर अयोध्या की विवादित ज़मीन पर मसजिद को दुबारा बनाया जाना संभव ही नहीं है तो फिर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाख़िल करके आख़िर हासिल क्या करना चाहता है?
क्या रफ़ाल सौदे को फिर से राहुल गाँधी मुद्दा बनाएँगे? क्या कांग्रेस संसद के शीतकालीन सत्र में इसे उठाने की तैयारी कर रही है? ऐसा नहीं है तो राहुल ने इस मुद्दे को फिर क्यों उठाया है?
लंबे समय से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। फ़ैसले पर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने कहा है कि वह इसे चुनौती दिये जाने के बारे में विचार करेगा।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। 2.77 एकड़ विवादित ज़मीन रामलला विराजमान को राम मंदिर बनाने के लिए दे दी गई है। मुसलिम पक्ष अब क्या चाहता है?
महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर तेज़ी से बदल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने फ़िलहाल 'देखो और इंतज़ार करो' की नीति पर चलने का फ़ैसला किया है।