उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश, फिर गोवा और गुजरात। अनेक राज्यों में कोरोना के बहाने, निवेश और उद्योग लाने के नाम पर श्रम क़ानून हटाए जा रहे हैं। क्या इससे कोई फ़ायदा होगा? आलोक जोशी ने बात की दो टूक बोलने वाले पूर्व आईएएस अनिल स्वरूप से जो लेबर को भी समझते हैं और उद्योगों को भी।
लॉकडाउन से कैसे निकल रहा है नॉर्वे? स्वीडन में लॉकडाउन न करना क्या समझदारी थी? हर्ड इम्यूनिटी के सिद्धांत में ख़तरा क्या है? कुली लाइन्स के लेखक डॉक्टर प्रवीण झा से आलोक जोशी की बातचीत।
कोरोना से लाखों के बेरोज़गार होने का डर था। लेकिन सिर्फ़ एक महीने में बारह करोड़ से ज़्यादा लोग बेरोज़गार हो चुके हैं। और याद रखिए, ख़तरा अभी टला नहीं है।
आरोग्य सेतु डाउनलोड न किया तो जुर्माना या जेल! इतना फ़ायदेमंद ऐप है तो यह ज़बर्दस्ती क्यों? आशुतोष, हर्षवर्धन त्रिपाठी और अदिति अग्रवाल के साथ आलोक अड्डा।
लॉकडाउन तो ज़रूरी था। लेकिन अब यह सवाल है कि जिस बीमारी को रोकने के लिए देशबंदी की गई, कहीं ये इलाज उससे ज़्यादा ख़तरनाक तो नहीं बन जाएगा? मैनेजमेंट गुरु, दर्शनशास्त्री और लेखक गुरचरण दास से ख़ास बातचीत।
अमेरिका में कच्चे तेल का भाव ज़ीरो से नीचे चला गया। यह खबर तो खूब चली। लेकिन इस चक्कर में भारत के कमोडिटी बाज़ार में जो कत्लेआम हुआ वो भी कम नहीं। आलोक जोशी के साथ बातचीत में संदीप जैन बता रहे हैं कि कैसे ट्रेडरों को सैकड़ों करोड़ का घाटा कम हुआ और क्यों साँसत में है बहुत से ब्रोकरों की जान।
गुरुवार को रिलायंस के नतीजे आएंगे। बोर्ड मीटिंग में रिज़ल्ट के साथ ही राइट्स इशू पर भी विचार होगा। इस बार रिज़ल्ट में क्या देखना है? और क्या रिज़ल्ट के पहले कुछ करना चाहिए? आलोक जोशी ने पूछा बाज़ार के जानकार प्रकाश दीवान से।
फ़्रैंकलिन टेंपलटन की छह स्कीमें बंद होने से परेशान हैं? सोच रहे हैं कि अपने म्यूचुअल फंड बेचकर सोना ख़रीद लें? इस हाल में पैसा कहाँ सुरक्षित है और आपको कहाँ कितना पैसा रखना चाहिए? पर्सनल फ़ाइनेंस की जानकार पत्रकार, लेट्स टॉक मनी की लेखिका और मिंट की कंसल्टिंग एडिटर मोनिका हालन से आलोक जोशी की बातचीत।
कोरोना के क़हर के बीच अपने धन की सुरक्षा साथ मन की शांति भी बहुत ज़रूरी है! फ़्रैंकलिन के छह फंड बंद होने की खबर ने बहुतों की नींद उड़ा दी है। क्या अब सारे म्यूचुअल फंड ख़तरे में हैं? आपको क्या करना है? आलोक जोशी ने पूछा जाने माने फाइनेंशियल प्लानर और योगिक वेल्थ के लेखक गौरव मशरूवाला से।
इकोनॉमी बेहाल है, शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के बीच कभी कभी उछाल है। म्यूचुअल फंड में भी पैसा सेफ़ है या नहीं? क्या करें क्या न करें? आलोक जोशी ने बात की #GirlWithABrokenNeck के नाम से मशहूर फंड मैनेजर और Edelweiss AMC की CEO राधिका गुप्ता से।
क्या अर्नब का सोनिया पर मनगढ़ंत आरोप लगाना सही है ? क्या धर्म विशेष के ख़िलाफ़ नफरत फैलाना पत्रकारिता है ? आशुतोष, आलोक जोशी, कुमार केतकर और हर्षवर्द्धन त्रिपाठी से चर्चा
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट के बाद कभी उछाल दिखता है तो आप समझते हैं कि यही आख़िरी मौक़ा है। घबराकर बेचने, या खुश होकर ख़रीदने का। तो जाने माने इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट अजय बग्गा के साथ आलोक जोशी की यह बातचीत सुनिए और समझिए कि कैसे आप इस मौक़े का फ़ायदा उठा सकते हैं। ख़ासकर महिलाएँ ज़रूर देखें।
कच्चे तेल के बाज़ार में भारी गिरावट से हमें कितना ख़ुश होना चाहिए? अमेरिका में तेल का भाव ज़ीरो से कम हो गया, यानी बेचनेवाला तेल के साथ पैसे भी देने को तैयार। तो क्या भारत में पेट्रोल डीज़ल फ़्री मिलेगा? आलोक जोशी पूछ रहे हैं पेट्रोलियम और एनर्जी सेक्टर के विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा से।
महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और एक ड्राइवर की मॉब लिंचिंग में पुलिस और प्रशासन की नाकामी साफ़ दिख रही है। वरिष्ठ पत्रकार जयप्रकाश सिंह से बातचीत में देखिए इस कांड की सच्चाई और साथ में सोचिए कि ऐसे जघन्य अपराध पर भी राजनीति और भेदभाव का व्यापार करनेवालों को क्या कहा जाए?
सपनों का शहर न्यूयार्क इन दिनों ख़ौफ़ के साए में है। कोरोना का क़हर सबसे बुरी तरह यहीं टूट कर बरपा हुआ है। कैसे चल रही है न्यूयार्क में ज़िंदगी? और क्या ट्रंप को जान से ज़्यादा चुनाव प्यारा है? आलोक जोशी ने बात की न्यूयार्क और संयुक्त राष्ट्र पर नज़र रखनेवाली पत्रकार योशिता सिंह से।
कोरोना का क़हर, इकोनॉमी पर संकट और माहौल में नफ़रत और अविश्वास! ऐसे में अपने घरों में बंद होकर किया पढ़ सकते हैं। क्या लिखा जा सकता है? आलोक जोशी ने बात की तीन जाने माने लेखकों नवीन जोशी, वंदना राग और अशोक कुमार पांडेय के साथ।
मुरादाबाद में पत्थरबाज़ी का कोई बचाव या समर्थन नहीं हो सकता। लेकिन मरकज़, तबलीग और मुरादाबाद के नाम पर आम मुसलमान के खिलाफ नफ़रत फैला रहे लोगों का क्या इलाज है? आलोक अड्डा में चर्चा ताहिरा हसन, अकु श्रीवास्तव और आशुतोष के साथ।
गुड फ़्राइडे से ईस्टर संडे। यह लंबा वीकेंड इंग्लैंड में ख़ास होता है। बड़ा त्योहार भी, और बड़ी छुट्टी भी। लेकिन इस बार कोरोना के डर ने मज़ा ख़राब कर दिया है। चमकदार धूप तो खिली है, लेकिन लंदन शहर के लोग सहमे हुए हैं। आलोक अड्डा में लंदन से जुड़ी हैं ख़ास मेहमान इशलीन कौर।