उत्तर प्रदेश में अखिलेश राज में हुए खनन घोटाले की जाँच की आँच कई अधिकारियों तक पहुँच रही है। सीबीआई ने यूपी में आईएएस, पीसीएस अफ़सरों के घर पर छापे मारे हैं।
लोकसभा चुनावों में ख़राब प्रदर्शन के बाद सदमे से अखिलेश नहीं उबरे हैं, मायावती घर पर बैठकें कर रही हैं, लेकिन प्रियंका बीजेपी की तरह संगठन खड़ा करने में जुट गई हैं। क्या वह योगी को चुनौती दे पाएँगी?
पहले चर्चा थी कि सपा मुखिया अखिलेश के चाचा शिवपाल की घर वापसी हो सकती है। शिवपाल के क़रीबियों की मानें तो उनकी पार्टी का अखिलेश की सपा से कोई मेल नहीं होगा। चुनावी हार के बाद भी आख़िर क्यों नहीं मिल पा रहे हैं दोनों?
यूपी के सीएम की छवि बिगाड़ने वाली पोस्ट लिखने और वीडियो शेयर करने के आरोप में प्रशांत कन्नौजिया को यूपी पुलिस ने जेल भेज दिया है। इसके बाद से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
यूपी में ऐसे नतीजे क्यों आए? कहीं इसलिए तो नहीं कि सपा-बसपा-रालोद जहाँ यादव, जाटव और मुसलिम बिरादरी के वोटों को सहेजने में आश्वस्त होकर बैठ गया वहीं बीजेपी ने 33 अन्य पिछड़ी व दलित जातियों को बटोरने का काम किया।
अपने क़िले गोरखपुर को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने सब कुछ दाँव पर लगा दिया है। सोमवार से चुनाव तक योगी हर रात गोरक्षनाथ मठ में गुजारेंगे। अगले पाँच दिन में 19 जनसभाएँ, कार्यकर्ताओं की एक दर्जन बैठकें लेंगे।
पहले तो कांग्रेस ने बनारस में मोदी के लिए खुला मैदान छोड़ा, लेकिन अब अब अजय राय के प्रचार में प्रियंका बनारस आ रही हैं। बनारस में प्रियंका का लंबा रोड शो होगा। इस रोड शो को यादगार बनाने की तैयारी हो रही है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में ‘करो या मरो’ की जंग लड़ रही बीजेपी के सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को टोंटीचोर कहना महँगा पड़ सकता है।
यूपी में पूरब के इलाक़े में बीजेपी और संघ का नया नारा है कि उन्हें ग़ैर यादव पिछड़ों व ग़ैर जाटव दलितों का वोट मिल रहा है लेकिन गठबंधन ने इसकी काट निकाल रखी है।
अपने डेढ़ दशक के लंबे राजनैतिक जीवन में पहली बार कड़े मुक़ाबले में फँसे राहुल गाँधी ने अमेठी का क़िला फ़तह करने के लिए पहली बार 100 से ज़्यादा बाहरी नौजवानों की फ़ौज उतार दी है।
उत्तर प्रदेश की हाई-प्रोफ़ाइल सीटों में से एक लखनऊ का हाल भी कुछ-कुछ बनारस जैसा हो गया है। तमाम दावों के बाद भी राजधानी लखनऊ से राजनाथ सिंह के मुक़ाबले कोई नामचीन हस्ती क्यों नहीं उतरी?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने मैदान में उतरी प्रियंका गाँधी कम से कम बनारस में मोदी से दो-दो हाथ नहीं करेंगी। अगले दो-तीन दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। तो क्या कांग्रेस डर गई?
यूपी के जातीय चक्रव्यूह में फँसी बीजेपी के लिए सहारा ग़ैर-यादव पिछड़े और ग़ैर-जाटव दलित नज़र आ रहे हैं। हालाँकि इस बिरादरी के चेहरे इस बार या तो नज़र नहीं आ रहे या उन्हें तवज्जो तक नहीं मिल रही।
साथी ठाकुर विधायक पर सरकारी बैठक में जूते की बौछार कर देने वाले संतकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी का टिकट बीजेपी ने काट दिया है। तो बीजेपी ने शरद त्रिपाठी के पिता रमापतिराम त्रिपाठी को टिकट क्यों दे दिया है?
यूपी में बीजेपी के सहयोगी रहे ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा ने अपनी राहें अलग कर ली हैं। बीते काफ़ी समय से राजभर अपने बयानों से बीजेपी को असहज करते रहे हैं।
अमेठी के लिए नामांकन भरने के साथ ही राहुल गाँधी ने रफ़ाल को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज यह साफ़ कर दिया है कि चौकीदार चोर है।
गठबंधन ने सहारनपुर के देवबंद में पहली साझा रैली कर अपनी ताक़त दिखाई। महागठबंधन की पहली ही रैली भीड़ के लिहाज से विरोधियों को परेशान करने के लिए काफ़ी थी।
प्रियंका गाँधी 3 अप्रैल से बुंदेलखंड का अपना दौरा शुरू करेंगी। कांग्रेस महासचिव 3 अप्रैल को जालौन, 4 को महोबा, हमीरपुर और 5 अप्रैल को बांदा-चित्रकूट में रहेंगी।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में आश्चर्यजनक रूप से हर बार मुसलिम राजनीति के केंद्र में रहने वाले इन इलाक़ों में रहस्यमय चुप्पी का नज़ारा है। शायद यह पहली बार है कि ज़्यादातर दलों से सबसे कम मुसलिम प्रत्याशी इस चुनाव में उतरे हैं।