स्वतंत्रता दिवस पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते हुए कई सवाल दिमाग में आए- राष्ट्रीय सुरक्षा-मज़बूती से लेकर पड़ोसियों से संबंध व गलवान घाटी तक।
केंद्र सरकार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर शुरुआत से तमाम आँकड़ों के ज़रिये यह संदेश देने में लगी है कि भारत में कोरोना प्रबंधन बेहतरीन है और कई देश भारत का अनुसरण कर रहे हैं। क्या सच में ऐसा है?
जम्मू-कश्मीर में फ़िलहाल स्थिति कुछ ठीक नहीं है। लेकिन क्या इसकी स्थिति पहले भी ऐसी रही है? कनिष्क से लेकर जहाँगीर, अंग्रेज़ शासन के आने तक कैसा था जम्मू-कश्मीर? इस सीरीज़ में वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी से सुनिए कश्मीर की अनसुनी कहानियाँ। 'सत्य हिंदी' पर पेश है इसकी तीसरी कड़ी।
जम्मू-कश्मीर क्या है? जम्मू-कश्मीर की आत्मा क्या है? इसका इतिहास क्या है? इस जानकारी को आप तक पहुँचाने के लिए सत्य हिन्दी ने इस पर एक सीरीज़ शुरू की है। इसमें वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी आपको बताएँगे कश्मीर की अनसुनी कहानियाँ। पेश है इसकी दूसरी कड़ी।
अनुच्छेद 370, 35ए हटाने की बात करने वाले क्या जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर क्या है? जम्मू-कश्मीर की आत्मा क्या है? इसका इतिहास क्या है? हम इस पर पूरी एक सीरीज़ शुरू कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र तिवारी से जानिए कश्मीर को। पेश है इसकी पहली कड़ी।
सन 1831 में बालाकोट में महाराजा रणजीत सिंह के सिख लड़ाकों ने सैयद अहमद बरेलवी समेत 300 से ज़्यादा मुजाहिदीन हलाक कर दिये थे। सैयद अहमद बरेलवी शुरुआती वहाबी जिहादी थे।
1965 के युद्ध में कश्मीर भारत के साथ था, लेकिन यदि आज युद्ध की स्थितियाँ बनीं तो क्या कश्मीर हमारे साथ रहेगा। मूल सवाल यही है। इसे हल करने पर ही चीजें बदल सकती हैं।
अंतरिम बजट में तीन राज्यों में हुई बीजेपी की हार की छाया स्पष्ट नज़र आ रही है। कुल मिलाकर देखें तो बजट की अधिकांश घोषणाएँ चुनाव में फ़ायदे के लिए की गईं लगती हैं।