चीनी सेना ने देमचोक गांव में छह जुलाई को अपने सैनिक भेजे। देमचोक गांव में कुल 31 घर हैं जहां 78 लद्दाखी रहते हैं। यही लद्दाखी लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे थे तब चीनी सैनिक कई वाहनों पर सवार होकर बड़े चीनी झंडे लेकर भारतीय इलाक़े में घुसे।
छह महीने से अधिक वक़्त तक पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में भारतीय सेनाओं के साथ तनातनी के बाद चीनी सेना अब पीछे लौटेने को तैयार हो गई है। टकराव के सभी सीमांत इलाकों से दोनों देशों के सेनिक पीछे हट जाएंगे।
डोनल्ड ट्रम्प अमेरिकी विदेश और समर नीति में जो विरासत छोड़ गए हैं, उनमें मौलिक बदलाव अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन कर सकेंगे या नहीं, इस पर सामरिक हलकों में बहस छिड़ गई है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी के आला नेताओं की चार दिनों तक चले सालाना अधिवेशन के बाद 29 अक्टूबर को जो नतीजे घोषित किये गए हैं उससे साफ हुआ है कि चीन की सत्ता पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पकड़ मजबूत बनी हुई है।
आगामी 26 और 27 अक्टूबर को भारत और अमेरिका के बीच विदेश व रक्षा मंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ की अहम वार्ता होने वाली है जो ट्रंप प्रशासन की भारत के साथ अंतिम सामरिक वार्ता होगी।
साझा मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को भी चौथे साझेदार के तौर पर शामिल कर चीन को साफ कर दिया है कि राजनयिक स्तर पर 4 देशों का जो साझा राजनयिक मंच 'क्वाड' के नाम से बन चुका है, उसका अब सैन्य मंच भी होगा।
म्यांमार को भारतीय नौसेना की एक पुरानी पनडुब्बी देने का एलान कर भारत ने सामरिक हलकों में सनसनी तो पैदा की ही है, पहली बार चीन का इस इलाक़े से पत्ता काटने की एक बड़ी सामरिक पहल को कामयाबी मिली है
चीन ने सैन्य इरादों से किये जा रहे ढाँचागत निर्माण का सवाल खड़ा कर पूरे विवाद को नया मोड़ देने की कोशिश की है। चीन ने साफ़ कहा है कि दोनों देशों के बीच जो मौजूदा सैन्य तनाव चल रहा है उसकी जड़ में भारत द्वारा ढाँचागत निर्माण ही वजह है।
भारत ने चीन को भी एक संदेश दिया है कि जिस तरह वह भारत की सम्प्रभुता का सम्मान नहीं करता है उसी तरह भारत भी चीन की प्रादेशिक एकता का सम्मान करने के लिये प्रतिबद्ध नहीं है।
कोरोना महामारी से निबट लेने के बाद दुनिया में देशों के बीच रिश्तों के समीकरण कैसे बनेगें, इसकी एक झलक तोक्यो में 6 अक्टूबर को चार देशों- अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत के विदेश मंत्रियों की दूसरी साझा बैठक से मिली है।
सीमा और भूभाग के मसले पर 29 सितम्बर को चीन ने अचानक अपना रुख कड़ा करने के एक दिन बाद अपने तेवर नरम किये हैं। उसने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की 10 सितम्बर को मास्को में हुई बैठक के बाद बनी पांच- सूत्री सहमति को लागू करने पर ज़ोर दिया है।
चीन ने साठ साल पहले का दावा दुहरा कर भारत चीन के बीच चल रही मौजूदा सैन्य तनातनी को नया मोड़ दे दिया है। चीन द्वारा फिर से किये गए इस दावे को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है।
पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में बीते 5 मई से चल रही सैन्य तनातनी दूर करने के लिये सोमवार को दोनों पक्षों के सैन्य और राजनयिक प्रतिनिधियों की हुई छठी बैठक के बाद जारी साझा बयान उम्मीदें पैदा करता है।
भारत की ओर से कहा गया है कि एलएसी को एकपक्षीय तौर पर बदलने की किसी भी कोशिश को भारत स्वीकार नहीं करेगा और भारतीय पक्ष ने सीमा प्रबंध के सभी समझौतों का सटीक पालन किया है।
भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की बातचीत का कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला, चीन ने पीछे हटने से इनकार कर दिया। ऐसे में तनाव एक बार फिर बढ़ रहा है। आगे क्या होगा?
पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर की चोटियों के इलाक़े में चीनी सेना को आगे बढ़ने से रोकने की साहसी कार्रवाई करने वाली विकास बटालियन के जवान भारतीय सेना के सबसे घातक कमांडो के तौर पर जाने जाते हैं।
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के इलाके में 15 हजार फीट ऊँची चोटियों पर भारतीय सेना द्वारा अपने सैनिकों को बैठा देना चीन के लिये दूसरी बड़ी शमिंदगी का कारण बना।
चीन की इस हरकत से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव का तापमान काफी बढ़ गया है। इसी के मद्देनजर भारतीय सेना ने लेह-श्रीनगर राजमार्ग को आम आवाजाही के लिए रोक दिया है।