भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रीलंका के साथ भरोसे का रिश्ता बनाने और चीन के साथ राजपक्षे सरकार की नजदीकियों का असर भारत के सुरक्षा हितों पर नहीं पड़ने देने की होगी।
शिखर बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखें लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया।
भारत-नेपाल पेट्रोलियम पाइपलाइन न केवल नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिये गेम चेंजर साबित होगी बल्कि भारत-नेपाल के रिश्तों में भी खेल का पासा पलटने वाली साबित होगी।
एक तरफ अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह रूस से मिसाइल प्रणाली न ले तो मास्को ने पाकिस्तान को रक्षा उपकरण दिया, जो भारत को बहुत अच्छा नहीं लगा। इसके बावजूद दोनों देशों में सामरिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं।
परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल न करने को लेकर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के बयान को ख़ुद उनके ही विदेश मंत्रालय ने खंडन क्यों कर दिया? किसके दबाव में यह सब हुआ?