चीन को पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाक़े से पीछे जाने के लिये मजबूर करने के इरादे से सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर भारत के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत के बयान का सामरिक हलकों में गहन विश्लेषण शुरू हो गया है।
गुरुवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के डब्ल्यूएमसीसी की चौथे दौर की बातचीत में चीन अपने सैनिकों को पाँच मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने पर सहमति देगा, इसकी उम्मीद कम ही है।
इज़राइल ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ राजनयिक रिश्तों की स्थापना करने और जनता और सरकारी स्तर पर दिवपक्षीय सहयोग के कई समझौतों का एलान कर अरब कौम में एक बड़ी सेंध लगाई है।
इसमें कोई शक नहीं है कि राफ़ेल एक क्षमतावान लड़ाकू विमान है और पाकिस्तान के पास इस विमान का कोई जवाब नहीं है लेकिन चीनी वायुसेना के बारे में यह कहना अतिश्योक्ति होगी।
अब तक के संकेत यही हैं कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच वार्ता में भारी गतिरोध पैदा हो गया है और चीनी सेना ने संघर्ष के इलाक़ों से अपने सैनिकों को और पीछे हटाने से साफ़ इनकार कर दिया है।
लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा।
गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर
दुनिया के सात अमीर देशों के संगठन जी-7 की शिखर बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भारत सहित ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और रूस को न केवल निमंत्रण दिया है बल्कि इसे जी-11 या जी-12 करने की सम्भावना भी ज़ाहिर की है।
भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की बुधवार को की गई पेशकश को इसलिये हलके में नहीं लिया जाना चाहिये कि वह नादानी में अक्सर ऐसा बोलते हैं।
चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास बहुत बड़ी तादाद में सैनिकों को तैनात कर सीमा पर तनाव बढ़ा दिया है। आख़िर इस हठात् आक्रामकता की क्या वजह है?
नेपाल ने कालापानी और कुछ अन्य इलाकों पर अपना दावा ठोक दिया है। भारत ने लंबे समय तक इस मसले को लटकाए रखा और कभी भी इस विवाद को सुलझाने के लिए गम्भीर क़दम नहीं उठाए।
भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ने की घटनाओं को लेकर मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर रिपोर्टें जारी की जा रही हैं। इससे दोनों देशों के रिश्तों में अनावश्यक तनाव पैदा होता है।