विद्यासागर की मूर्ति को खंडित करने की बात को ममता ने बंगाली अस्मिता से जोड़ दिया है। अब ममता अंतिम नौ सीटों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश कर रही हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत निश्चित मानी जा रही है, लेकिन वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों में माहौल ऐसा नहीं है। कितना असर होगा सपा-बसपा गठबंधन का?
दलितों के इंसानी हुकूक का सबसे बड़ा दस्तावेज़ भारत का संविधान है। उसके साथ हो रही छेड़छाड़ की कोशिशों से हमारे गाँव के दलित चौकन्ने हैं। उनको जाति के शिकंजे में लपेटना नामुमकिन है।
लखनऊ से सुल्तानपुर की यात्रा में पाँच लोकसभा क्षेत्रों से गुज़रने का मौक़ा मिला। लखनऊ और सुल्तानपुर में तो सामान्य स्थिति दीखी, लेकिन अमेठी में नहीं। पढ़िये, लखनऊ से सुलतानपुर तक की चार और पाँच मई की यात्रा रिपोर्ट।
पाकिस्तानी आतंकवादी और जैश-ए-मुहम्मद के सरगना, मौलाना मसूद अज़हर को सुरक्षा परिषद् ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर दिया है। क्या इससे पाकिस्तान में ज़मीनी हालात बदलेंगे?
बीजेपी ने तो साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को यह सोच कर मैदान में उतारा था कि वह दिग्विजय सिंह को घेर लेंगी। पर हेमंत करकरे पर दिए बयान की वजह से अब खुद बीजेपी घिर गई है।
क्या बीजेपी के पास सरकार की विफलताओं और पार्टी के 2014 के वायदों की नाकामी से बचने का कोई रास्ता नहीं है। क्या पुलवामा और बालाकोट की घटनाओं से भी पार्टी को नया रास्ता नहीं मिला?
मोदी को चुनौती देने वाली विपक्षी पार्टियाँ उन मुद्दों को उठाना भूल गई हैं जिन पर लोकसभा का चुनाव होना चाहिए था और उनके भाषणों पर प्रतिक्रिया देने की ड्यूटी निभा रही हैं।
जब से प्रियंका गाँधी को कांग्रेस का महासचिव बनाया गया है तब से कांग्रेस को वही मीडिया स्पेस मिलने लगा है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला करता था। यह बीजेपी के लिए चिंता की बात है।
राहुल गाँधी ने में घोषणा कर दी कि अगर कांग्रेस 2019 के चुनाव के बाद सत्ता में आई तो सबके लिए एक निश्चित आमदनी की गारंटी कर दी जाएगी। क्या इससे ग़रीबी ख़त्म हो जाएगी?
सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं, महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को अपनाने का बीजेपी की तरफ़ से अभियान चल रहा है। तो क्या बीजेपी गाँधी को अपना बना पायेगी?
साम्प्रदायिक ताकतें एकजुट हुईं। बाबरी मसजिद का काण्ड हुआ। अयोध्या के विध्वंस के बाद देश में साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ आन्दोलन की ज़रूरत महसूस की गई। अब यदि देश को बचाना है तो लामबंद होना कितना ज़रूरी है?
रफ़ाल डील पर कोर्ट के फ़ैसले के बाद अमित शाह ने राहुल गाँधी से माफ़ी माँगने को कहा है। राहुल ने भी पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पर कोर्ट में झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
टीवी चैनलों पर एग्ज़िट पोल की बहार है। एग्ज़िट से नतीजों के बारे में कोई तसवीर साफ़ होने की बात तो दूर, माहौल और भी पेचीदा हो गया है। क्यों, पढ़कर ख़ुद ही तय करें।
डॉ. अांबेडकर के नाम पर राजनीति करने वालों को इतना तो मालूम है कि बाबासाहेब जाति व्यवस्था के ख़िलाफ़ थे लेकिन बाक़ी चीजों पर ज़्यादातर लोग अन्धकार में हैं।
आरोपी बजरंग दल, बीजेपी और विहिप के पदाधिकारी हैं, ये भीड़ का हिस्सा थे और मरने-मारने पर उतारू थे। बुलंदशहर हिंसा से यूपी की शासन व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है।