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देश में फैलाए जा रहे ज़हर पर नसीरुद्दीन शाह को आता है ग़ुस्सा

बॉलिवुड के जाने-माने कलाकार नसीरुद्दीन शाह को देश के मौजूदा हालात पर गुस्सा आता है। क़ानून-व्यवस्था की स्थिति से वे चिंतित हैं। लिंचिंग के संदर्भ में नसीरुद्दीन शाह कहते हैं कि देश में ज़हर फैल चुका है। उन्होंने कहा कि एक गाय की मौत को ज़्यादा अहमियत दी जाती है एक पुलिस ऑफ़िसर की मौत के बनिस्पत। वे आगे कहते हैं कि इससे उन्हें डर नहीं लगता, बल्कि गुस्सा आता है। 

ऐक्टर ने ये बातें एक विडियो संदेश में कही हैं। दो मिनट 10 सेकंड की इस क्लिप में धर्म के नाम पर हिंसा के संदर्भ में वह कहते हैं कि यह ज़हर फैल चुका है। उनका कहना है कि इस जिन्न को दोबारा बोतल में बंद करना बड़ा मुश्किल है, कुछ लोगों को क़ानून हाथ में लेने की खुली छूट मिल गई है। इस विडियो क्लिप को ‘कारवाँ-ए-मोहब्बत इंडिया’ यूट्यूब चैनल ने जारी किया है।

'मेरी औलाद को भीड़ ने घेर लिया तो?'

शाह कहते हैं कि मुझे मेरी औलाद के बारे में फ़िक्र होती है। वे आगे कहते हैं कि कल को जब उनको भीड़ ने घेर लिया कि तुम हिंदू हो या मुसलमान तो उनके पास तो कोई जवाब ही नहीं होगा। इस बात की फ़िक्र होती है क्योंकि हालात जल्दी सुधरते नज़र नहीं आ रहे हैं।

विडियो की पूरी बातचीत यहाँ सुनें।

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट किया कि नसीरुद्दीन शाह भी भारत को बदनाम करने वालों के गैंग में शामिल हो गए हैं। उन्होंने इसे शाह का घटिया सोच क़रार दिया। सिन्हा ने कटाक्ष करते हुए इस अभिनेता से कहा कि वे पहले रोहिंग्या मुसलमानों से यह देश छोड़ने को कहें।

आमिर ने भी कहा था, असुरक्षा की भावना बढ़ी

तीन साल पहले असहिष्णुता पर बयान देने को लेकर आमिर खान को आलोचना का सामना करना पड़ा था। तब देश में असहिष्‍णुता के मुद्दे पर चल रही बहस के बीच रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स फंक्‍शन में आमिर खान ने कहा था, ‘पिछले 6-8 महीने से असुरक्षा और डर की भावना समाज में बढ़ी है। यहाँ तक कि मेरा परिवार भी ऐसा ही महसूस कर रहा है। मैं और पत्‍नी किरण ने पूरी जिंदगी भारत में जी है, लेकिन पहली बार उन्‍होंने मुझसे देश छोड़ने की बात कही। यह बहुत ही ख़ौफ़नाक और बड़ी बात थी, जो उन्‍होंने मुझसे कही। उन्‍हें अपने बच्‍चे के लिए डर लगता है। उन्‍हें इस बात का भी डर है कि आने वाले समय में हमारे आसपास का माहौल कैसा होगा? वह जब अख़बार खोलती हैं तो उन्‍हें डर लगता है। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अशांति बढ़ रही है।’
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क़मर वहीद नक़वी

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