बिहार की सियासत में हुए एक ताज़ा राजनीतिक वाक़ये में नीतीश सरकार के मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफ़ा दे दिया है। सहनी ने कहा है कि उन्होंने यह इस्तीफ़ा अफ़सरशाही के ख़िलाफ़ दिया है।
एएनआई से बातचीत में सहनी ने कहा, “मुझे कोई लोभ-लालच नहीं है। अफ़सर मेरी बात नहीं सुनेंगे तो लोगों का काम नहीं होगा और ऐसे में मुझे इस जगह नहीं रहना।” उन्होंने कहा कि राज्य में अफ़सर पूरी तरह बेलगाम हैं।
सहनी ने कहा कि विधायक तो खुलकर बोल भी सकते हैं लेकिन मंत्री तो ऐसा भी नहीं कर सकते।
मांझी ने किया समर्थन
सहनी के आरोपों का हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने समर्थन किया है। मांझी ने कहा कि यह बात सच है कि कई प्रशासनिक अफ़सर नेताओं की बात को अहमियत नहीं देते। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को विधायकों की एक बैठक में उठा भी चुके हैं।
तेजस्वी का हमला
सहनी के इस्तीफ़े पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार में पूरी तरह अफ़सरशाही चालू है और जब मंत्री की बात नहीं सुनी जा रही है तो आम आदमी की बात क्या सुनी जाएगी।
आरजेडी नेता तेजस्वी ने कहा कि इस गिरी हुई सरकार का गिरना तय है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं।
मदन सहनी के इस्तीफ़े को जेडीयू के लिए झटका माना जा सकता है क्योंकि सहनी पार्टी के बड़े ओबीसी चेहरे हैं और जब जेडीयू के ही मंत्री अफ़सरों पर उनकी बात न सुनने के आरोप लगा रहे हैं तो यह वाक़ई बेहद गंभीर मसला है।
ट्रांसफ़र-पोस्टिंग में लेन-देन
इसके अलावा बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने नीतीश सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। ज्ञानू ने कहा है कि कई विभागों में ट्रांसफ़र-पोस्टिंग के दौरान पैसे का लेन-देन हुआ है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी का अपने मंत्रियों पर कोई नियंत्रण नहीं हैं और ऐसे लोगों को मंत्री बना दिया गया है जो पैसे वाले हैं और अपराधी हैं।
सियासत में खलबली
बिहार की सियासत में बीते दिनों कुछ बड़े वाक़ये हुए हैं। एलजेपी में हुई जबरदस्त टूट का जिम्मेदार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बताया जा रहा है तो नीतीश कुमार भी अपनी सियासी हैसियत बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्रिपरिषद के विस्तार में जेडीयू के लिए ज़्यादा पद चाहते हैं।
बीते दिनों में कांग्रेस के कई विधायकों के जेडीयू के संपर्क में होने की भी ख़बर आई थी। इसके बाद मंत्री सहनी का इस्तीफ़ा हो या विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के आरोप हों, यह कहा जा सकता है कि बिहार सरकार में सब कुछ दुरुस्त नहीं है।
जवाब देंगे नीतीश?
अफ़सरशाही के ख़िलाफ़ अगर इस तरह का असंतोष जारी रहा और जब ट्रांसफ़र-पोस्टिंग में लेन-देन के आरोप ख़ुद सरकार में शामिल पार्टियों के विधायक लगाएं तो सीधी उंगली हुक़ूमत के मुखिया की ओर उठेगी और नीतीश कुमार इन सवालों के जवाब देने से बच नहीं सकते।
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