loader

बिहार: मोदी की चुनावी रैलियों का प्रचार करेंगे 4 लाख ‘स्मार्टफ़ोन वॉरियर्स’ 

ये बात बीजेपी के विपक्षी राजनीतिक दलों सहित न्यूज़ चैनलों में सोशल मीडिया का काम देखने वाले लोग भी मानते हैं कि इस पार्टी ने सोशल मीडिया के मोर्चे पर जबरदस्त काम किया है। पार्टी की सभी राज्य इकाइयों के फ़ेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल हर दिन जोरदार ढंग से सक्रिय रहते हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक ही भाषण महाराष्ट्र से लेकर नगालैंड तक के फ़ेसबुक पेज और ट्विटर हैंडल पर लाइव होता है। इसके अलावा सोशल मीडिया के तमाम दूसरे हथकंडे बीजेपी जानती भी है और खुलकर अपनाती भी है। 

डिजिटली दमदार होना ज़रूरी

अब सामने आ गया है बिहार का चुनाव। इस बार का चुनाव हर बार से दो मायनों में अलग है। पहला यह कि पिछली बार तक न तो इतना डिजिटली प्रचार होता था क्योंकि बहुत सारे लोग फ़ेसबुक, ट्विटर और वॉट्स ऐप पर नहीं थे और दूसरा कोरोना संक्रमण के कारण इस बार रैलियां इतने बड़े पैमाने पर नहीं हो सकतीं, इसलिए जो दल डिजिटल के फ़ील्ड में दमदार होगा, वही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकेगा। 

ताज़ा ख़बरें

10 हज़ार ‘सोशल मीडिया कमांडो’ तैनात 

बिहार चुनाव के लिए अगर आप बीजेपी की सोशल मीडिया के मोर्चे पर तैयारियों के बारे में सुनेंगे, तो दातों तले उंगली दबा लेंगे। बीजेपी विशेषकर पीएम नरेंद्र मोदी की रैलियों का व्यापक स्तर पर प्रचार करेगी। मोदी 8-12 रैलियां करेंगे और इसके लिए 4 लाख ‘स्मार्टफ़ोन वॉरियर्स’ की तैनाती की गई है। मोदी की चुनावी रैलियां 15 अक्टूबर से शुरू हो सकती हैं। 

इसके अलावा 10 हज़ार ‘सोशल मीडिया कमांडो’ भी तैनात हैं। ‘स्मार्टफ़ोन वॉरियर्स’ और ‘सोशल मीडिया कमांडो’ मिलकर मोदी की वर्चुअल रैलियों को अधिकतम लोगों तक पहुंचाने के काम में जुटेंगे। कमांडो का काम इन वॉरियर्स पर निगरानी रखना और पूरे ऑपरेशन को संभालने का भी होगा।

मोदी-राहुल के फ़ॉलोवर

पीएम मोदी की रैलियां उनके फ़ेसबुक और ट्विटर अकाउंट से भी लाइव होती हैं। मोदी के फ़ेसबुक पर 4.5 करोड़ से जबकि ट्विटर पर 6 करोड़ से ज़्यादा फ़ॉलोवर हैं। जबकि राहुल गांधी को फ़ेसबुक पर लगभग 41 लाख और ट्विटर पर 1.6 करोड़ लोग फ़ॉलो करते हैं। 

बाक़ी दलों का क्या हाल

बाक़ी दलों में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू की स्थिति सोशल मीडिया पर ठीक नहीं है। उसका एक ही फ़ेसबुक पेज है और इस पर साढ़े तीन लाख से ज़्यादा और ट्विटर हैंडल पर महज 40 हज़ार फ़ॉलोवर हैं। उसमें भी शेयरिंग और री-ट्वीट बहुत बेहतर नहीं हैं। हालांकि जेडीयू मुखिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ट्विटर पर 60 लाख और फ़ेसबुक पर 16 लाख से ज़्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं। 

राष्ट्रीय जनता दल यानी आरजेडी के ट्विटर पर साढ़े तीन लाख और फ़ेसबुक पर सवा पांच लाख से ज़्यादा फ़ॉलोवर हैं। इसके नेता तेजस्वी यादव को ट्विटर पर 26 लाख और फ़ेसबुक पर 17 लाख से ज़्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं। 

अब बिहार कांग्रेस और बिहार बीजेपी के फ़ेसबुक और ट्विटर हैंडल पर फ़ॉलोवर्स की बात करते हैं। बिहार कांग्रेस के फ़ेसबुक पेज को पौने दो लाख लोग फ़ॉलो करते हैं जबकि ट्विटर हैंडल को महज 28 हज़ार जबकि बिहार बीजेपी के लिए यही आंकड़ा क्रमश: लगभग 5 लाख और 1 लाख 91 हज़ार है। 

बिहार से और ख़बरें

बीजेपी के फ़ेसबुक नेशनल पेज पर फ़ॉलोवर्स की संख्या 1.66 करोड़ है और ट्विटर हैंडल पर 1.40 करोड़ फ़ॉलोवर हैं जबकि कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा क्रमश: 58 लाख और 72 लाख है। 

बहुत आगे है बीजेपी

कुल मिलाकर पता यही चलता है कि चाहे जेडीयू हो या कांग्रेस या फिर आरजेडी, ये बीजेपी से सोशल मीडिया पर फ़ॉलोवर्स के मामले में बहुत पीछे हैं। हालांकि ये भी फ़ेसबुक लाइव से लेकर दिन भर अपने पेज और हैंडल पर कंटेंट डालते रहते हैं लेकिन यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ये बीजेपी को छू भी नहीं पाए हैं। 

बिहार चुनाव पर देखिए चर्चा- 

मोदी के सामने ढेरों चुनौतियां

बिहार का चुनाव इस मायने में अहम है क्योंकि चीन के साथ गलवान में हुई हिंसक झड़प में जवानों की शहादत के बाद विपक्ष ने मोदी सरकार पर सीमाओं की सुरक्षा के मामले में देश को धोखा देने और फेल रहने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री को जनता को यह भरोसा दिलाना होगा कि उनके नेतृत्व में देश सुरक्षित हाथों में है। इसके अलावा पाताल में जा चुकी अर्थव्यवस्था, सख़्त लॉकडाउन के कारण बंद हुए काम-धंधों, मजदूरों के पलायन, बेरोज़गारी, बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी मोदी को जनता को जवाब देना होगा। 

बीजेपी भी जानती है कि चुनावी फ़्रंट पर हालात ख़राब हैं और मोदी ही उसे इस हालात से उबार सकते हैं, इसलिए उनकी रैलियों को बिहार के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए वह मुस्तैद होकर काम कर रही है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें