बिहार के चर्चित मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम में रह चुकी एक महिला ने आरोप लगाया है कि चार लोगों ने उसके साथ चलती गाड़ी में बलात्कार किया है। पीड़िता के मुताबिक़ यह घटना पश्चिमी चंपारण के बेतिया कस्बे में शुक्रवार शाम को हुई। मामले में एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है।
याद दिला दें कि मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम में 34 लड़कियों से बलात्कार होने की पुष्टि हुई थी। कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 164 के तहत शेल्टर होम में रहने वाली 42 लड़कियों के बयान दर्ज कराए गए थे जिसमें अधिकतर पीड़िताओं ने अपने ऊपर हुए अत्याचार को बयां किया था और यह रोंगटे खड़े कर देने वाला था।
न्यूज़ 18 के मुताबिक़, बेतिया कस्बे के एसएचओ शशि भूषण ठाकुर ने कहा कि पीड़िता को शनिवार शाम को सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और रविवार को डॉक्टर्स की एक टीम ने पीड़िता का परीक्षण किया। उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद ही बलात्कार हुआ या नहीं, इसका पता चल सकेगा।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता ने शनिवार को बेतिया थाने में दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि चार लोगों ने उसे जबरदस्ती एक कार के अंदर खींच लिया, तब वह कहीं जा रही थी और अपने घर के आसपास ही थी। पीड़िता ने शिकायत में कहा है कि अभियुक्तों ने चलती गाड़ी में उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसे एक जगह फेंक दिया।
पीड़िता ने कहा है कि चारों लोगों ने मास्क से अपना मुँह ढका हुआ था लेकिन दो लोगों के चेहरे से मास्क के उतर जाने के कारण उसने उनका चेहरा देख लिया। पीड़िता ने कहा है कि सभी चारों लोग एक ही परिवार के हैं और दो उनमें से सगे भाई हैं। पीड़िता को मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले के सामने आने के से दो दिन पहले ही इस शेल्टर होम में लाया गया था लेकिन बाद में उसे एक दूसरी जगह शिफ़्ट कर दिया गया था।
मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम मामले में बृजेश ठाकुर समेत 11 लोगों के ख़िलाफ़ 31 मई, 2018 को एफ़आईआर दर्ज की गई थी। राज्य सरकार ने 26 जुलाई 2018 को इस मामले की जाँच सीबीआई को सौंप दी थी। 7 फ़रवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इस मामले को बिहार से दिल्ली के साकेत की पॉक्सो कोर्ट में ट्रांसफ़र किया जाए। कोर्ट ने आदेश दिया था कि छह महीने में हर दिन सुनवाई कराकर इस मामले की जाँच पूरी की जाए।
इसी साल फ़रवरी में ख़बर आई थी कि मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम से सात लड़कियाँ ग़ायब हो गई थीं और इनमें पांच पीड़िता भी शामिल थीं। मुज़फ़्फ़रपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य के विरुद्ध मुज़फ़्फरपुर शेल्टर होम मामले में सीबीआई को जाँच का आदेश भी दिया था।
मामले में तब नया मोड़ आया था, जब तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री कुमारी मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा के इसमें शामिल होने की बात सामने आई। विवाद इतना बढ़ा था कि मंजू वर्मा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
पूर्व मंत्री मंजू वर्मा ने लंबे समय तक फरार रहने के बाद बेगूसराय की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस क़रीब दो महीने से उनकी तलाश में छापेमारी कर रही थी। मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा का क़रीबी माना जाता है। मंजू वर्मा के पति चन्द्रशेखर वर्मा को भी कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा था।
मंजू वर्मा की गिरफ़्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस को लताड़ा था और राज्य के डीजीपी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि यह कैसे हो सकता है कि कैबिनेट मंत्री फरार हो और किसी को पता ही न हो कि वह कहाँ हैं।
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