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बिहार: आपा क्यों खो रहे हैं मर्यादित रहने वाले नीतीश?

नीतीश की परेशानी के चार कारण समझ में आते हैं। पहला- चिराग पासवान के हमले, दूसरा- तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़, तीसरा- बीजेपी का आक्रामक प्रचार और उन्हें पोस्टर्स से ग़ायब कर देना और चौथा- कुछ सर्वे में यह कहा जाना कि लोगों में उन्हें लेकर नाराज़गी बढ़ी है। 

पवन उप्रेती

नीतीश कुमार कभी भी किसी के लिए ग़लत भाषा का इस्तेमाल करते नहीं देखे गए हैं। उन्हें शांत और सोच-समझ कर बोलने वाला राजनीतिज्ञ माना जाता है। लेकिन बीते कुछ दिनों में वह कई बार आपा खो चुके हैं। 

राजनीति के जानकारों का कहना है कि बिहार चुनाव में तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़ और कुछ चुनावी सर्वे में लोगों की उनसे बढ़ती नाराज़गी की बात सामने आना इसकी वजह है। कुछ और भी वजह हैं लेकिन फिर भी उनसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह रैली के मंच से किसी पर निचले स्तर तक जाकर व्यक्तिगत हमले करेंगे। 

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बिहार में एक चुनावी रैली के दौरान नीतीश ने लोगों से कहा, ‘किसी को चिंता है, 8-9 बच्चे-बच्ची पैदा करता है। बेटी पर भरोसा ही नहीं है। कई बेटियां हो गईं, तब बेटा हुआ और आप सोच लीजिए, कैसा बिहार बनाना चाहते हो, ऐसा ही बिहार बनाना चाहते हो।’ 

नीतीश कुमार के इस बयान को सीधे तौर पर लालू प्रसाद यादव पर हमला माना गया क्योंकि लालू उनके सियासी विरोधी तो हैं ही, उनके परिवार में 9 बच्चे भी हैं। ये वो लालू हैं, जिनके साथ नीतीश ने सामाजिक न्याय की राजनीति की है और बिहार में सरकार तक साथ चलाई है। ख़ैर, नीतीश ने तो बयान दे दिया और इसकी प्रतिक्रिया तेजस्वी की ओर से आनी लाजिमी थी और आई भी। 

तेजस्वी ने पत्रकारों से कहा, ‘हमारे बहाने नीतीश कुमार पीएम मोदी जी को निशाना बना रहे हैं। नरेंद्र मोदी जी भी 6-7 भाई-बहन हैं।’ तेजस्वी ने बेहद शांत अंदाज में दोहराया कि नीतीश कुमार शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं, वे बेरोज़गारी, ग़रीबी, पलायन, भुखमरी पर बात नहीं करना चाहते। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने इस बयान से महिलाओं की मर्यादा को ठेस पहुंचाई है। 

तेजस्वी ने बेहद समझदार राजनेता की भाषा में ट्वीट कर कहा, ‘नीतीश जी ने मेरे बारे में जो कुछ भी अपशब्द कहे वो मेरे लिए आशीर्वचन हैं। वह कुछ भी बोलें। मैं उनकी हर बात को आशीर्वाद के रूप में ले रहा हूं।’

‘अपने बाप से पूछो’ 

कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार ने एक चुनावी रैली में ऐसा ही बयान दिया जो उनकी इमेज से मेल नहीं खाता। नीतीश ने लालू-राबड़ी देवी को निशाने पर लेते हुए कहा था, ‘कहीं एक स्कूल बनाया था, अगर पढ़ना चाहते हो तो अपने बाप से पूछो, अपनी माता से पूछो कि कहीं कोई स्कूल था, कहीं कोई स्कूल बन रहा था, कहीं कोई कॉलेज बन रहा था।’ 

नीतीश ने कहा था, ‘राज करने का मौक़ा मिला तो राज करके ग्रहण करते रहे और अंदर चले गए तो पत्नी को बैठा दिया गद्दी पर।’ 

देखिए, बिहार चुनाव पर चर्चा- 

‘लालू जिंदाबाद’ पर भड़के

इससे पहले नीतीश जब छपरा जिले की परसा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे तो वहां कुछ लोगों ने लालू यादव जिंदाबाद के नारे लगा दिए थे, इस पर भी नीतीश उखड़ गए थे। नीतीश ने नारा लगा रहे लोगों से कहा था, ‘क्या बोल रहे हो, अनाप-शनाप क्यों बोल रहे हो, यहां पर हल्ला मत करो। तुमको अगर वोट नहीं देना है, तो मत दो।’

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परेशान क्यों हैं नीतीश?

नीतीश की परेशानी के चार कारण समझ में आते हैं। पहला- चिराग पासवान के हमले, दूसरा- तेजस्वी की रैलियों में उमड़ रही भीड़, तीसरा- बीजेपी का आक्रामक प्रचार और उन्हें पोस्टर्स से ग़ायब कर देना और चौथा- कुछ सर्वे में यह कहा जाना कि लोगों में उन्हें लेकर नाराज़गी बढ़ी है। 

तेजस्वी, चिराग ने बढ़ाई मुश्किल 

चिराग की काट के लिए नीतीश बीजेपी के तमाम आला नेताओं से एलजेपी को वोट कटवा कहलवा चुके हैं लेकिन चिराग के हमले और तीख़े होते जा रहे हैं। वह ख़ुद को मोदी का हनुमान बताते हुए नीतीश कुमार को जेल में डालने की बात कर रहे हैं। इसके अलावा तेजस्वी की रैलियों में उमड़ी भीड़ अगर वोट में बदलती है तो नीतीश की मुश्किलों में इज़ाफा होना तय है। 

बीजेपी का पोस्टर्स में सिर्फ़ मोदी की तसवीर लगाना यह दिखाता है कि बिहार में नीतीश के सियासी क़द को कम करने की कोशिश की जा रही है और जहां तक सर्वे में नीतीश के प्रति नाराज़गी बढ़ने की बात है तो इससे नीतीश ही नहीं जेडीयू के आला रणनीतिकार भी परेशान हैं।
नीतीश को यह दिखाना होगा कि वह इन सियासी मुश्किलों से घबरा नहीं रहे हैं और अपने अनुभव की बदौलत ख़ुद पर कंट्रोल करके चुनाव जीत सकते हैं। एक़दम युवा तेजस्वी के सामने नीतीश की यह घबराहट आने वाले दिनों में और बढ़ी तो यह उनकी मुश्किलों में कहीं ज़्यादा इजाफ़ा कर देगा। 
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पवन उप्रेती

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