किसानों के आंदोलन ने मोदी सरकार को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। सरकार को समझ आ गया था कि यह आंदोलन उसकी सियासी ज़मीन को खिसका सकता है, इसलिए उसने किसानों की मांगों को मान लिया।
हिमाचल प्रदेश में मिली हार से बीजेपी का राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व सकते में है। उसे ऐसे नतीजों की उम्मीद नहीं थी। क्या इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी होगा?
कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के लाख विरोध के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफ़ा देकर हाईकमान को जोर का झटका दिया था।
लखीमपुर खीरी के इस वाक़ये ने किसान आंदोलन की चिंगारी को और ज़्यादा भड़का दिया है और विपक्षी दल मोदी, योगी सरकार और बीजेपी पर बुरी तरह हमलावर हो गए हैं।
कांग्रेस ने जो वजह बताई है, वह आसानी से गले नहीं उतरती। क्या कांग्रेस ने यह बात बहाने के तौर पर कही है। क्या वह एआईयूडीएफ़ से वास्तव में अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी।
राजभर ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मुलाक़ात की है। इसके बाद जो बयान उन्होंने दिया है, वह इस ओर साफ इशारा करता है कि राजभर फिर से बीजेपी के साथ जा सकते हैं।
एनडीए में शामिल और बिहार के राजनीतिक दल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने जोर-शोर से एलान किया था कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में 165 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
जितिन के पार्टी छोड़ते ही सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा जो सवाल पूछा गया वह यह कि राजस्थान कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट भी क्या कुछ ऐसा ही क़दम उठाएंगे?
रामदेव ने एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस बताया तो विरोधी विचार रखने वालों को देशद्रोही बताने वाली ट्रोल आर्मी ने इसे फिर से धर्म से जोड़ दिया और सोशल मीडिया पर इसे सनातन या हिंदुत्व बनाम ईसाईयत से जोड़कर नया रंग दे दिया।
सरकार को दोषी ठहराने के बजाय सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमामंडन किया जा रहा है, इसके लिए ऐसे-ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं कि ग़रीब, अशिक्षित और कई बार शिक्षित जनता भी मान बैठती है कि हां, ये बात सही ही है।