बिहार में लालू प्रसाद के कथित जंगलराज को हटाने के नाम पर बनी और 2005 से चल रही सुशासन की सरकार में इन दिनों हत्या, लूट और रेप की घटनाएँ बेलगाम हो रही हैं। दो दिन पहले पटना के पुनाईचक में इंडिगो एयरलायंस के स्टेशन मैनेजर को गोलियों से भून दिया गया। बुधवार को मुजफ्फरपुर में सेंट्रल बैंक के कर्मियों को बंधक बनाकर लूटपाट की गयी। उत्तर बिहार के प्रमुख शहर मुजफ्फरपुर के साहेबगंज थाने में पड़ने वाले एक गाँव में तीन जनवरी को एक किशोरी के साथ रेप किया गया और फिर उसी घर में उसे ‘ज़िंदा जलाकर मार दिया गया’।
इसके अलावा मधुबनी ज़िले के हरलाखी थाना के एक गाँव में मैट्रिक की छात्रा से गैंग रेप किया गया और उसकी आँखें फोड़ने की कोशिश की गयी।
मुजफ्फरपुर में रेप के बाद ‘ज़िंदा जलाये जाने’ के मामले में पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में है। पुलिस के अनुसार लड़की ने आत्मदाह किया है। यह घटना तीन जनवरी की है और एफ़आईआर बारह जनवरी को की गयी है। अजीब बात यह है कि पुलिस ने एफ़आईआर में हत्या की धारा लगायी है लेकिन रेप की धारा नहीं जोड़ी है।
इस बारे में पीड़िता के पिता का कहना है कि उनके परिवार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा था कि वह केस न करें और पंचायत से मामले को निपटा दिया जाए। पीड़िता के पिता जालंधर के एक निजी फ़र्म में काम करते हैं। उन्हें इस मामले की जानकारी उनकी बड़ी बेटी से मिली तो वह पाँच जनवरी को गाँव पहुँचे।
पीड़िता के पिता पर गाँव वालों ने केस न करने का दबाव बनाया। सात जनवरी को फिर पंचायती की कोशिश हुई। आख़िरकार उन्होंने आठ जनवरी को पुलिस को एफ़आईआर के लिए आवेदन दिया।
पुलिस यह आवेदन लेकर चार दिन तक बैठी रही। 11 जनवरी को फिर पंचायती कराने की कोशिश की गयी। वे 12 जनवरी को फिर थाने पहुँचे तो पुलिस ने अंततः एफ़आईआर दर्ज की।
पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत की हद एफ़आईआर में दर्ज बातों से उजागर होती है। पीड़िता के साथ पाँच दिसंबर को भी रेप किया गया था। उसका वीडियो बनाया गया और अश्लील तसवीरें खींची गयीं। बदमाश उसे इनके सहारे ब्लैकमेल करते रहे और आख़िर में वीडियो वायरल कर दिया। सवाल यह है कि जब वीडियो वारयल हो गया तो पुलिस को इसकी जानकारी कैसे नहीं मिली और उसी समय कार्रवाई क्यों नहीं की? इसके बाद जब लड़की मर गयी तो एफ़आईआर दर्ज करने में इतनी आनाकानी क्यों की गयी?
इस बारे में मुजफ्फरपुर के एसएसपी ने पुलिस की लापरवाही की जाँच करने की बात कही है। उनके अनुसार इस मामले की जाँच सरैया के एसडीपीओ राजेश कुमार शर्मा कर रहे हैं। एसडीपीओ राजेश कुमार के अनुसार पड़ोस में रहने वाले एक लड़के ने पीड़िता से दोस्ती कर उससे संबंध बनाया और उसकी तसवीरें लेकर अपने दोस्तों में बाँट दी। इसी से परेशान होकर पीड़िता ने ख़ुद को कमरे में बंद कर आग लगा ली लेकिन वे भी इस बात को मानते हैं कि पीड़िता के दादा-दादी पर कुछ गाँव वालों ने दबाव बनाया कि वह इस घटना की जानकारी पुलिस को न दें।
पीड़िता पिता गाँव पहुँचे तो उन पर भी पंचायती कर मामले को दबाने को कहा गया। अभियुक्त की माँ समेत गाँव के छह लोगों को हिरासत में लिया गया है। उनसे यह पता लगाया जा रहा है कि किन लोगों ने पीड़िता के परिवार पर केस न करने का दबाव बनाया था।
दूसरी तरफ़ मधुबनी के हरलाखी इलाक़े में बकरी चराने गयी एक गूंगी किशोरी से मंगलवार को खेत में ले जाकर गैंगरेप किया गया। उस लड़की के साथ गये दूसरे बच्चों ने इसकी जानकारी घर वालों को दी तो वह बेहोशी की हालत में बागीचे में मिली। रेप के बाद उसकी दोनों आँखों पर नुकीली चीज से हमला किया गया। डाॅक्टरों का कहना है कि उसकी एक आँख पूरी तरह ख़राब हो गयी है जबकि दूसरे की हालत भी ठीक नहीं है। उसे इलाज के लिए पहले मधुबनी सदर अस्पताल और बाद में दरभंगा मेडिकल काॅलेज और अस्पताल भेजा गया।
मधुबनी के एसपी सत्य प्रकाश ने बताया कि इस मामले में पीड़िता के गाँव के ही तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह केस ’पाॅक्सो’ अदालत में लाया गया है जहाँ पुलिस ने सबूतों के अलावा आरोपितों का स्वीकारोक्ति बयान भी प्रस्तुत किया है।
इस बीच, बिहार में अपराध के मामले में सत्ता पक्ष भी चिंता व्यक्त करने को मजबूर हुआ है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने बैंक मैनेजर पर चिंता व्यक्त की है। बीजेपी विधान पार्षद सच्चिदानंद राय ने कहा है कि पिछले पाँच सालों में पुलिस का खौफ कम हुआ है।
इधर, जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि अपराध को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता लेकिन अपराधियों की गिरफ्तारी और उन्हें सज़ा दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। बिहार के नेता, प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि सूबे में अपराधी पूरी तरह बेलगाम हैं। उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि विपक्ष के साथ साथ सरकार में शामिल बीजेपी भी सरकार से सवाल पूछ रही है।
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